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Moral Stories in Hindi : नैतिक कहानी बच्चों के मानसिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी है। इस तरह के कहानी बच्चों को सुनाने से उनकी मानसिकता में बदलाव आता है। जब बच्चों को इस तरह की नैतिक कहानियां सुनने को मिलती हैं तो उन्हें इससे काफी कुछ सीखने को मिलता है।
शिक्षक अपने पाठ कक्षा में बच्चों को इस तरह की नैतिक कहानियां सुनाकर उनके बौद्धिक विकास को गति प्रदान कर सकते हैं। इस तरह की कहानियां बच्चों को सुनाने से उन्हें सही गलत की समझ और बहुत सारे सद्गुणों की प्राप्ति होती है।
तो आज हमने आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण सीख देने वाली नैतिक कहानियां (Best Short Moral Stories in Hindi) आपके साथ इस लेख के माध्यम से साझा की है इसे पढ़कर या सुनकर आप इन कहानियों को अपने बच्चों को सुना सकते हैं या फिर आप अपने जीवन में भी लागू कर सकते हैं।
इन्हे भी जरा सुनिए
Best Short Moral Stories in Hindi – नैतिक कहानियाँ हिंदी में
छोटे बच्चों को सीखने के लिए नीचे दिए नैतिक कहानियाँ (Moral Stories in Hindi) जरूर पढ़े :
आलसी चिड़िया (Short Moral Stories in Hindi)

आलसी चिड़िया कहानी सुने
एक चिड़िया और चींटी में बहुत मित्रता थी। चिड़िया बहुत आलसी थी। लेकिन चींटी अपना सभी काम समय से करती और दिन रात मेहनत करती थी। बरसात का मौसम आने वाला था। चींटी ने दिन रात मेहनत करके ढेर सारा भोजन एकत्र कर लिया।
चींटी ने चिड़िया से कहा- “बहन! बरसात का मौसम आने वाला है। तुम अपने और बच्चों के लिए भोजन एकत्र कर लो, नहीं तो तुम्हें परेशानी होगी। चिड़िया ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया।
बरसात आते ही दिन – रात पानी बरसने लगा। चिड़ियां अपने घोसले से बाहर न निकल सकी। उसके बच्चे भूख से रोने लगे। यह देखकर चींटी को दया आ गई। उसने चिड़िया को कहा-“मेरे बिल में से कुछ खाना तुम ले जा सकती हो।”
चींटी ने चिड़िया को समझाया- “बहन! अगर तुमने मेरी बात मान ली होती तो आज तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को भूखा नहीं रहना पड़ता।” चिड़िया ने समय का महत्व समझते हुए चींटी से कहा – “बहन! मैं आज से आलस नहीं करूंगी। और समय का सदैव ध्यान रखूंगी।
कहानी की सीख (Moral of the story)
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमे कभी भी आलस नहीं करनी चाहिए और समय के महत्त्व को समझना चाहिए।
कौवा की नैतिक कहानी (Moral Stories in Hindi)

एक जंगल में एक कौवा रहता था। वह बड़ा ही खुश और मस्ती में रहता। एक बार उसे एक सुंदर पक्षी दिखाई दिया। वह उस पक्षी के पास तुरंत गया। उस पक्षी का रंग सफेद था।
कौवे ने उससे पूछा – तुम्हारा नाम क्या है? पक्षी ने कहा -“हंस’ कौवा बड़ा खुश हुआ और खुश होकर कहा – यार तुम तो बड़े सुंदर हो, सफेद हो तुम्हें तो बड़ा मज़ा आता होगा जिंदगी जीने में। लेकिन ‘हंस, ने कहा नहीं मुझसे ज्यादा भी कोई और सुंदर है। कौवा हैरान हो गया और कहा कौन है जो तुमसे भी सुंदर है?
‘हंस’ ने कहा – “तोता, कौवा तुरंत वहां से उड़ कर तोते के पास पहुंचा। और कौवा उसे देखकर हैरान हो गया। तोते के गले में लाल रंग और तोता हरे रंग का था। ‘कौवा ने उससे कहा – यार तुम तो बड़े खुश रहते होगे तुम इतने शानदार जो दिखते हो।
तोता मायूस हुआ, और कहा नहीं मुझसे भी शानदार और सुंदर तो मोर है। कौवा उड़कर मोर को ढूंढने लगा। उसने कई दिनों तक मोर को ढूंढ़ा। लेकिन मोर उसे मिला नहीं। लेकिन कुछ दिन बाद उसे पता चला। मोर शहर में एक चिड़िया घर में है। कौवा चिड़िया घर पहुंचा और उसने मोर को देखा काफी लोग मोर के साथ फोटो क्लिक कर रहे थे। ये देखकर कौवे को थोड़ी जलन हुई।
कौवा मोर के पास गया और कहा यार तुम्हारे जिंदगी में तो मज़े ही मज़े है। मोर ने कहा – किस बात के मज़े मैं भले ही दिखने में शानदार और सुंदर हुं। लेकिन मेरी पूरी जिंदगी इस बंद पिंजरे में ही गुजरने वाली है। मोर ने कौवे से कहा – यार तुम बड़े किस्मत वाले हो। खुले आसमान में जहां चाहे वहां जा सकते हो।
कहानी की सीख (Moral of this story)
दोस्तों याद रखना तुम अपनी जिंदगी में कभी किसी से भी तुलना मत करना वरना 1 दिन एहसास जरूर होगा। कि तुलना करना गलत बात है।
लालची कुत्ता (Best Moral Stories in Hindi)

लालची कुत्ता की कहानी सुने
एक लालची कुत्ता था। एक दिन उसे एक रोटी मिली। रोटी लेकर वह एक पुल के ऊपर से नदी पार कर रहा था। तभी उसकी नज़र एक कुत्ते पर पड़ी जो उसे नदी के ठहरे पानी में दिखाई दे रहा था।
उसने देखा उस कुत्ते के पास भी एक रोटी है। उसने सोचा कि “क्यों न उस नीचे कुत्ते से वह रोटी छीन लूं तो मेरे पास दो रोटीयां हो जाएंगी।” ऐसा सोचकर उसने भौंकना शुरू कर दिया। जिससे उसके मुंह से रोटी नीचे पानी में जा गिरी।
अब उसे यह समझ में आ गया कि नीचे जो कुत्ता दिखाई दे रहा था वह उसी की परछाई थी। लालच में आकर कुत्ते को एक भी रोटी नसीब नहीं हुई।
कहानी की सीख (Moral of the story)
इस कहानी से यह हमें शिक्षा प्राप्त होती है कि लालच बुरी बला है और उसका फल भी बुरा होता है। इसलिए हमें कभी भी लालच नहीं करनी चाहिए।
एक बहरे मेंढक की सफलता की कहानी (Moral Stories in Hindi)

मेंढक की सफलता की कहानी सुने
एक मेंढक पेड़ की चोटी पर चढ़ने का सोचता है और आगे बढ़ता है बाकी के सारे मेंढक शोर मचाने लगते हैं “यह असंभव है आज तक कोई नहीं चढ़ा। यह असंभव है नहीं चढ़ पाओगे” मगर मेंढक अपने मेहनत के दम पर लगातार कोशिश करते हुए आखिर पेड़ की ऊंची चोटी पर पहुंच ही जाता है।
जानते हैं क्यों? क्योंकि वह मेंढक बहरा होता है और सारे मेंढक को चिल्लाते देख सोचता है कि सारे मेंढक उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं इसलिए अगर आपको अपने लक्ष्य पर पहुंचना है तो नकारात्मक लोगों के प्रति “बहरे” हो जाइए।
कहानी की सीख (Moral of the story)
“हमे लक्ष्य प्राप्ति के लिए लगातार मेहनत करना चाहिए। किसी और के बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए”
कामचोर गधे की कहानी(Best Short Moral Stories in Hindi)

एक आदमी के पास एक गधा था वह गधा बहुत आलसी था। एक दिन उसके मालिक ने बाजार जाकर कुछ नमक बेचने की सोची वह अपने गधे की पीठ पर नमक का एक बोरा रखकर बाजार की ओर चल पड़ा।
जैसे ही वे दोनों रास्ते में नदी को पार करने लगे अचानक गधे का पैर फिसल गया। और वह नदी में गिर गया। गधे को चोट तो नहीं लगी पर खड़े होने पर उसे ऐसा लगा। कि उसके पीठ पर रखे हुए नमक का बोझ कम हो गया हो।
दूसरे दिन भी गधा कुछ नमक का बोरा लेकर चलने लगा वह जानता था कि अब उसको क्या करना है? गधे को अपने पीठ पर लगा हुआ बोझ कम करना था। जब गधा और उसका मालिक नदी पार करने लगे तो गधा फिर से नदी में फिसल कर गिर पड़ा इस बार उसे फिर से अपने कमर पर रखे हुए नमक का भार हल्का लगने लगा। उसने सोचा यह बहुत ही ठीक हुआ।
गधे के मालिक ने उस गधे की इस चाल को पहचान ली। गधे के मालिक को बहुत क्रोध आया। क्योंकि नमक के बोरे में से सारा नमक नदी में गिर गया था। अब उसने गधे को सबक सिखाने के लिए एक तरकीब निकाली। तीसरे दिन गधे का मालिक गधे की पीठ पर रुई से भरा बोरा रखकर चल पड़ा।
गधे ने सोचा की उसको फिर से अपनी चाल चलनी चाहिए। जब वे दोनों नदी पार करने लगे तो गधा फिर से जानबूझकर नदी में फिसल कर गिर गया ताकि उसकी कमर पर रखा हुआ बोझ हल्का हो जाए। लेकिन अब की बार ऐसा नहीं हुआ उसकी कमर पर रखा हुआ बोरा और भारी हो गया । गधे के कमर पर रखा हुआ रुई ने पानी को पूरी तरह से सोख लिया था जिसके कारण वह और भी भारी हो गया तो इस तरह मालिक ने अपने कामचोर गधे को सबक सिखाया।
इस कहानी की शिक्षा (Moral of the story)
यदि हम आलस के कारण काम को टालते हैं तो हम और भी अधिक परेशानियां या संकट में फंस सकते हैं इस कारण काम से जी चुराने वाला आदमी कामचोर कहलाता है।
घमंडी खरगोश (Moral Stories in Hindi)

एक जंगल में खरगोश रहता था उसे अपने तेज रफ्तार पर बहुत घमंड था एक दिन वह जंगल के राजा शेर के पास गया और घमंड से बोला मुझे दौड़ की प्रतियोगिता पर कोई हरा नहीं सकता यह सुनकर शेर बोला – “यदि किसी जानवर ने तुम्हें हरा दिया तो क्या तुम उसके गुलाम बनने को तैयार हो?”
खरगोश ने हां बोला दूसरे दिन दौड़ की प्रतियोगिता रखी गई एक कछुए ने बोला – “मैं इस खरगोश को हरा पाऊंगा सारे जानवर हंसने लगे” जैसे ही खरगोश को पता चला कि प्रतियोगिता जीतने के लिए पहाड़ी पार करनी होगी वैसे ही खरगोश ने अपनी रफ्तार पकड़ ली और पर्वत की चोटी पर जाकर सो गया जैसे ही उसकी आंख खुली तो उसने देखा कि कछुआ यह प्रतियोगिता जीत चुका था जिससे खरगोश उसका गुलाम बन गया ।
कहानी की शिक्षा (Moral of the story)
इस कहानी की नैतिक शिक्षा हमें कभी भी घमंड नहीं करनी चाहिए।
हाथी और बंदर की कहानी (Best Moral Stories in Hindi)

एक जंगल में एक विद्वान हाथी रहता था जिसके पास सभी जंगली जानवर के बच्चे पढ़ने के लिए आते थे उनमें से एक बंदर का बच्चा भी था जो बहुत शरारती था। उसका मन पढ़ाई पर नहीं लगता था। उसका मन हमेशा खेलने में ही लगा रहता था।
एक दिन वह खेलते-खेलते गड्ढे में जाकर गिर गया। वहां से बाहर निकालना उसके लिए असंभव था क्योंकि उसने बाहर निकलने की कोई शिक्षा ही प्राप्त नहीं की थी।
तभी वहां उसका शिक्षक हाथी आता है और उसे बाहर निकाल लेता है बन्दर का बच्चा पूछा – “आपने मुझे कैसे आसानी से बाहर निकाल लिया मैंने बहुत प्रयास किया?” तो हाथी बोला तुमने अगर सही समय पर शिक्षा सीखी होती खुद से बाहर निकल चुके होते। मेरी कोई सहायता की जरूरत ही नहीं पड़ती।
कहानी की शिक्षा (Moral of the story)
नैतिक शिक्षा हमें हमेशा अच्छी तरह पढ़ाई करनी चाहिए और हमेशा अपने शिक्षक और माता-पिता का आदर करना चाहिए।
तीन बैलों की कहानी (Moral Stories in Hindi)

एक जंगल में तीन बैल रहते थे तीनों आपस में अच्छे मित्र थे वह घास चरने के लिए जंगल में एक साथ ही जाया करते थे। उसी जंगल में खूंखार शेर भी रहता था उस शेर कि इन तीनों बैल पर कई दिनों से नजर थी।
वह इन तीनों को मारकर खाना चाहता था लेकिन यह असंभव था क्योंकि वह तीनों बैल एक साथ शेर पर हमला कर देते थे। एक दिन किसी बात पर तीनों बैल पर लड़ाई हो गई। इस बात का मौका देखकर शेर उनके पास गया और एक-एक करके तीनों को मारकर खा गया।
इस कहानी की नैतिक शिक्षा
हमें कभी भी एकता नहीं तोड़नी चाहिए और एकता में ही सबसे बड़ी ताकत होती है हमें हमेशा आपस में मिलकर रहना चाहिए और दूसरों की बातों पर नहीं आना चाहिए।
चूहे और बिल्ली की कहानी(Short Moral Stories in Hindi)

एक बिल्ली थी जो बहुत ही चालाक और चौकस थी। उसकी इसी चालाकी और चौकसी को देखकर चूहे भी सावधान हो गए थे और चूहे बिल्ली के हाथ नहीं आ रहे थे एक समय ऐसा आया कि बिल्ली भूख के मारे तड़पने लगी।
एक भी चूहा उसके हाथ नहीं आता था क्योंकि बिल्ली के आहट सुनते ही चूहे बिल में तेजी से चले जाते थे तभी बिल्ली एक योजना बनाने लगी। एक टेबल पर उल्टी लेट गई यह देखकर सारे चूहे चौकन्ना हो गए। लेकिन एक चूहा बिल्ली के बनाए हुए इस जाल को नहीं समझ पाया और बिल्ली के पास गया।
चूहे को आते हुए देखकर बिल्ली ने चूहे पर झपट्टा मार दिया और उसे खा गया। सारे चूहे यह सब देखकर बिल के अंदर भाग गए।
कहानी की सीख (Moral of the story)
इस कहानी की नैतिक शिक्षा हमें हमेशा चौकन्ना रहना चाहिए। और अपने बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे हमारी जान बच सके।
लोमड़ी और अंगूर की कहानी (Short Moral Stories)

एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी एक दिन उसे बहुत तेज की भूख लगी। वह खाने की तलाश में इधर-उधर भटकते रही लेकिन उसे खाने के लिए कुछ नहीं मिला। तभी उसका नजर पास में स्थित अंगूर के बगीचे पर पड़ी वह खुशी-खुशी अंगूर के बगीचे के अंदर चली गई और अंगूर तोड़ने का प्रयास करने लगी उसके हाथ एक भी अंगूर नहीं आया।
इतने प्रयास करने के बावजूद वह एक भी अंगूर प्राप्त नहीं कर पाई। ऐसे में उसने अंगूर पाने की अपनी आस छोड़ दी और हार मान ली अपनी विफलता को छिपाने के लिए उसने खुद ही बोला कि अंगूर खट्टे हैं इसलिए इन्हें मुझे नहीं खाना।
कहानी की सीख (Moral of the story)
नैतिक शिक्षा लोमड़ी और अंगूर की कहानी से हमें सीख मिलती है अगर हम कि बिना प्रयास से किसी चीज को पाने में असमर्थ हैं तो हमें उस चीज को लेकर गलत राय नहीं बनानी चाहिए।
बंदर और खरगोश की कहानी (Best Moral Stories in Hindi)

एक जंगल में एक बंदर और खरगोश दोनों बड़े ही प्यार से रहते थे दोनों में इतनी अच्छी दोस्ती थी कि हमेशा एक साथ खेलते और अपना दुख- सुख बांटते थे। एक दिन खेलते-खेलते खरगोश बोला – “मुझे प्यास लगी है चलो पानी को ढूंढने”
बंदर और खरगोश पानी ढूंढने के लिए जंगल के अंदर चले गए उन्हें कुछ समय पश्चात एक मटका मिला जिसमें काफी कम पानी था। खरगोश ने बंदर से बोला – “पहले तुम पी लो तुम थक गए हो” उसी तरह बंदर ने भी खरगोश से बोला दोनों के बीच में बहस होने लगी। तभी पास में खड़ा है एक हाथी यह सब देख रहा था हाथी ने बोला – “ऐसा करो जितना पानी है उसका आधा-आधा पी लो जितनी प्यास होगी वह बुझ जाएगी आगे जाकर पानी का स्रोत ढूंढ लेना” इस तरह दोनों ने अच्छी तरह से पानी पी लिया।
कहानी की सीख (Moral of the story)
नैतिक शिक्षा सच्चे दोस्त हमेशा एक दूसरे का ख्याल रखते हैं सच्ची दोस्ती में स्वार्थ की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
कबूतर और मधुमक्खी की कहानी (Moral Stories in Hindi)

एक जंगल में एक नदी के किनारे एक पेड़ पर 1 कबूतर रहता था उसी जंगल में 1 दिन कहीं से एक मधुमक्खी भी गुजर रही थी कि अचानक से जोर से हवा चली और वह नदी में जा गिरी उसके पंख गीले हो गए। उसने बाहर निकलने के लिए बहुत कोशिश की लेकिन वह निकल नहीं सकी।
जब उसे लगा कि वह मर जाएगी तो उसने मदद के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया तभी पास के पेड़ पर बैठे कबूतर की नजर उस मधुमक्खी पर पड़ी। कबूतर ने उसकी मदद करने के लिए पेड़ से उड़ान भर ली कबूतर ने मधुमक्खी को बचाने के लिए एक तरकीब सोची। कबूतर ने पत्ते को अपनी चोंच से पकड़ा और उसे नदी में गिरा दिया वह पत्ता मिलते ही मधुमक्खी नदी से बाहर निकल गई और उसकी जान बच गई।
कहानी की सीख (Moral of the story)
नैतिक शिक्षा इस कहानी से सीख मिलती है कि हमें मुसीबत में फंसे व्यक्ति की मदद जरूर करनी चाहिए इससे हमें बहुत भविष्य में अच्छे परिणाम जरूर मिलते हैं।
चार दोस्त (Best Moral Stories in Hindi)

चार दोस्त थे चारों को पढ़ाई करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। चारों दिन-रात मौज मस्ती करते रहते थे। परीक्षा के पहले दिन ही वह पार्टी कर रहे थे। और इसलिए उन्होंने सोचा कि वे Teacher के पास जाकर उनसे झूठ कहेंगे और परीक्षा बाद में कभी दें देंगे।
पार्टी करने के बाद दूसरे ही दिन चारों टीचर के पास गए। टीचर एक झूठ बोलने लगे कि – “कल रात हम एक शादी में गए थे। और शादी से घर लौटते समय हमारी गाड़ी का टायर पंचर हो गयी। गाड़ी में और टायर नहीं था। इसीलिए हमें गाड़ी को धक्का मार – मार कर घर तक लेकर आना पड़ा। हम कल रात इतना थक गए थे कि आज एग्जाम देने की हालत में नहीं है। तो क्या हम एग्जाम बाद में दे सकते हैं?”
टीचर ने उनकी बात सुनी और उनसे कहा कि – तुम परीक्षा कल दे सकते हो। चारों यह सुनकर बहुत ही खुश हो गए। और घर जाकर पढ़ाई करने लगे। दूसरे दिन चारों एग्जाम देने पहुंचे। टीचर ने उन्हें अलग-अलग क्लास में बिठाया।
प्रश्न पेपर में सिर्फ दो ही प्रश्न थे। पहला – तुम्हारा नाम क्या है? और दूसरा – गाड़ी का कौन सा टायर पंचर हो गया था? चारों ने झूठ कहा था। इसीलिए चारों के उत्तर अलग-अलग थे। इस प्रकार से टीचर ने उनके झूठ पकड़ लिया।
कहानी की सीख (Moral of the story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ बोलना बुरी बात है। इसलिए हमें झूठ कभी नहीं बोलना चाहिए।
स्वच्छता की कहानी (Moral Stories in Hindi)

राम आठवीं कक्षा का छात्र नायक था स्कूल के नियम अनुसार सभी छात्रों का प्रार्थना पर उपस्थिति अनिवार्य थी अनुपस्थित छात्र को कठोर सजा होती थी। उस दिन राम ने देखा कि कक्षा का एक छात्र मुरली प्रार्थना के लिए उपस्थित नहीं था।
इससे पहले मुरली कोई जवाब दे अध्यापक कक्षा में आ गया। और राम से पूछने लगे कि – राम सुबह सभी लोग प्रार्थना के लिए उपस्थित थे ना? तो राम ने कहा – मुरली के अलावा सभी लोग उपस्थित थे।
तब शिक्षक मुरली से पूछने लगे मुरली तुम प्रार्थना में क्यों नहीं आए? सारे छात्र मुरली के सजा होने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
“मुरली का स्वभाव और आचरण बहुत ही अच्छा था। वह पढ़ाई में भी बहुत अच्छा था। उसकी लिखाई साफ और सुंदर थी। वह अपनी कॉपी पुस्तक बहुत ही अच्छी तरह से रखता था। इसलिए कुछ छात्रों को छोड़कर सभी छात्र मुरली से बहुत जलते थे।”
शिक्षक ने मुरली को कक्षा के सामने बुलाया और पूछने लगे – मुरली तुम जानते हो ना प्रार्थना के लिए उपस्थित ना रहने वालों को कड़ी सजा दी जाती है लेकिन सजा देने से पहले मैं जानना चाहता हूं कि तुम प्रार्थना के लिए क्यों नहीं आए?
तभी मुरली ने कहा – सर मैं कक्षा में सही समय पर पहुंच गया था लेकिन सभी प्रार्थना के लिए निकल चुके थे मैं अपने किताबें रखकर निकलने ही वाला था पर मैंने देखा कि कक्षा मे सभी जगह कूड़ा- कचरा पड़ा हुआ था।
सारी कक्षा गंदी हो गई थी सर आपने तो ही कहा था ना स्वच्छता ही भगवान है। हमारी कक्षा के स्वच्छता प्रमुख ने अपना काम सही तरीके से नहीं किया था। इसलिए मैंने पूरी कक्षा साफ कर दी। इसी कारण मैं प्रार्थना के लिए नहीं पहुंच पाया। मैंने कुछ गलत किया है तो कृपया मुझे क्षमा कर दीजिए मैं सजा के लिए तैयार हूं।
तब शिक्षक उसके बातो को सुनकर बोलने लगे – मुरली तुमने तो बहुत अच्छा काम किया है अगर हर बच्चा तुम्हारे जैसे विचार और कार्य करें तो हमारे स्कूल आदर्श स्कूल बन सकता है मुझे गर्व है कि तुम मेरे छात्र हो। तुम्हें कोई सजा नहीं मिलेगी।
अध्यापक ने मुरली का तारीफ किया जिससे एक बार फिर वह सभी के लिए सभी के लिए एक आदर्श छात्र बना।
कहानी की सीख (Moral of this story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कोई भी अच्छा काम छोटा नहीं होता है। हमें स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए।
गरीब की नियत (Short Moral Stories in Hindi)

एक गांव में एक दुकान था उस दुकान में एक छोटा सा लड़का आता है और कुछ दवाई लेकर भागने लगता है। तभी दुकान का मालिक उस लड़के को पकड़ लेता है और मारने लगता है।
सामने खड़े लोग सभी देखते रहते हैं तभी चाय बेचने वाला एक आदमी आता है। और पूछने लगता है इसको क्यों मार रहे हो? तो दुकान का मालिक बोलता है “यह चोर है दवाई चोरी करके भाग रहा था” चाय वाला आदमी जिसका नाम रामनाथ था। वह सोचता है कि आखिर यह बच्चा दवाई क्यों चोरी कर रहा है? इसकी जरूर कोई मजबूरी होगी और बच्चे की तरफ देखता है उस बच्चे की आंखों से आंसू निकलते देखकर रामनाथ दवाई के पैसे दुकान वाले को दे देता है। फिर बच्चा दवाई लेकर रामनाथ की तरफ देखते हुए दौड़ते हुए चला जाता है।
“रामनाथ एक मदद करने वाला व्यक्ति था वह सभी की मदद करते रहता था वह चाय बेचकर पैसा कमाता था सभी जरूरतमंदों की सेवा करता था उसका जीवन भी गरीबी से गुजर रहा था लेकिन थोड़े बहुत पैसे आते थे उससे जरूरतमंदों की सेवा करता था। अब रामनाथ बुड्ढा हो गया और वह अपनी चाय की दुकान चला रहा था।”
एक दिन वह अचानक चक्कर खाकर गिर जाता है और बेहोश हो जाता है। तभी उसका बेटा दौड़ते हुए आता है और अपने पिता को हॉस्पिटल ले जाता है तो डॉक्टर कहते हैं – “आपको अपने पिताजी का ऑपरेशन कराना पड़ेगा। जिसके लिए 5 लाख रुपयों की जरूरत होगी।”
रामनाथ का बेटा सोचने लगता है कि “मैं इतना पैसा कहां से लाऊंगा?” थोड़े बहुत पैसे थे उसे भी पिताजी ने दान में लगा दिया। ऐसा सोचते – सोचते रोते हुए वहां अपने पिताजी के पास सो जाता है। जब सुबह होता है तो उसको बेड के पास एक बिल होता है जिसमें लिखा होता है कि आपके 5 लाख रुपए जमा हो चुके हैं।
यह देखकर वह डॉक्टर के पास जाता है और कहने लगता है की यह पैसे किसने जमा किए तो डॉक्टर बोलता है मैंने किया। जिसके बाद रामनाथ का ऑपरेशन हो जाता है।
कुछ दिन बाद जब रामनाथ पूरी तरह से ठीक हो जाता है तो वह अपने बेटे से पूछने लगता है कि तुम्हारे पास इतने पैसे कहां से आए। तो उसका बेटा कहता है – “डॉक्टर साहब ने पैसे जमा किए”। इतने में ही डॉक्टर आ जाता हैं। और रामनाथ से कहते हैं आप मुझे जानते हो “मैं वही लड़का हूं जिसकी आपने मदद की थी। उस समय मेरी मां बहुत बीमार थी और आपकी मदद के कारण मेरी मां ठीक हो गई”।
ईमानदारी का इनाम (Best Moral Stories in Hindi)

बहुत पुराने समय की बात है एक गांव में अब्दुल नाम का एक पेंटर रहता था किंतु वह बहुत गरीब होने के कारण वह घर-घर जाकर पेंट करने का काम किया करता था।
उसकी आमदनी बहुत ही कम थी बहुत मुश्किल से उसका घर चलता था पूरा दिन मेहनत करने के बाद भी वह सिर्फ दो वक्त की रोटी ही खा पाता था वह हमेशा चाहता था कि उसे कोई बड़ा पेंटिंग का काम उसे मिले जिससे उसकी आमदनी अच्छी हो। पर वह छोटे- छोटे काम को भी बड़े लगन और ईमानदारी के साथ करता था।
एक दिन उसे गांव के जमीदार ने बुलाया और कहा सुनो अब्दुल मैंने तुम्हें यहां पर एक बहुत ही जरूरी काम के लिए बुलाया है क्या तुम करोगे?
तो अब्दुल कहने लगा – जी सेठ जी जरूर करूंगा। बताइए कौन सा काम करना है?
तब सेठ जी कहने लगे – मैं चाहता हूं कि तुम मेरे नाव को पेंट करो। और यह काम आज ही हो जाना चाहिए।
तब अब्दुल कहने लगा – जी सेठ जी यह काम मैं आज ही कर दूंगा।
इस तरह नांव पेंट करने का काम पाकर अब्दुल बहुत ही खुश था। अब्दुल ने इस काम के लिए सेठ जी से 1500 रूपये की मांग की थी।
इस तरह जमीदार सेठ जी अब्दुल को अपना नांव दिखाने नदी की तरफ ले जाते हैं। नांव देखने के बाद अब्दुल जमीदार से थोड़ा समय मंगता है। और अपना पेंट करने का सामान लेने चला जाता है।
अपना सामान लेकर जैसे ही अब्दुल आता है। वह नाव को पेंट करना शुरू कर देता है। जब अब्दुल नांव पेंट कर रहा था तब उसने देखा कि नाव में छेद था। नांव के छेद को देखकर बाबूलाल उसे पूरी तरह भर देता है। और नांव को भी पूरा तरह से पेंट कर देता है। नांव को देखकर जमीदार बहुत ही खुश हो जाता है। और अब्दुल को अगले दिन पैसा लेने को आने के लिए कहता है।
जमीदार के घरवाले उसी दिन नाव में बैठकर नदी के दूसरे तरफ घूमने जाते हैं। शाम को जमीदार का नौकर जो सेठ जी के नांव की देखरेख करता था। वह छुट्टी से वापस आता है। और परिवार वालों को घर में ना देखकर जमीदार से परिवार वालों के बारे में पूछता है जमीदार उसे सारी बात बता देता है।
जमीदार की बात सुनकर रामू चिंता में पड़ जाता है उसे चिंतित देखकर जमीदार पूछता है। क्या हुआ रामू यह बात सुनकर तुम चिंतित क्यों हो गए? तभी रामू चिंतित होकर कहता है – सेठ जी उस नांव में तो छेद था।
रामू की बात सुनकर भी जमीदार चिंतित हो जाता है। तभी उसके परिवार वाले पूरे दिन नांव में घूमकर वापस आ जाते हैं। उन्हें सकुशल देखकर जमीदार चैन की सांस लेता है।
अगले दिन जमीदार अब्दुल को बुलाता है और कहता है – अब्दुल तुमने बहुत ही अच्छा काम किया और ऐसा कहकर पैसे अब्दुल को दे देता है।
जब अब्दुल पैसे गिनता है तो हैरान हो जाता है। क्योंकि वह पैसे बहुत ही ज्यादा थे। यह देख कर अब्दुल जमीदार से कहते हैं सेठ जी यह पैसा तो ज्यादा है।
तब जमीदार कहते हैं नहीं अब्दुल मैंने तुम्हें गलती से कोई ज्यादा पैसे नहीं दिए हैं यह तुम्हारे मेहनत का ही फल है।
अब्दुल के द्वारा नांव में से छेद को ठीक करने के कारण सेठ जी का परिवार को पूरी तरह से सुरक्षित वापस नांव में घूमकर आ जाता है। इससे प्रभावित होकर अब्दुल को ज्यादा पैसे देकर धन्यवाद देता है। क्योंकि अब्दुल के इस महत्वपूर्ण कार्य के कारण नाव डूबने से बच जाता है।
ईमानदारी का इनाम कहानी की सीख (Moral of this story)
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपना काम पूरी लगन और ईमानदारी से करना चाहिए।
मेहनत का फल (Moral Stories in Hindi)

दो दोस्त थे अरुण और वरुण दोनों बेरोजगार थे। उन्होंने अपने परिचित गुरुजी से अपने परेशानी बताई और कहा, “गुरु जी हमें कुछ रुपए दीजिए, जिससे हम कुछ काम धंधा शुरू कर सकें। गुरुजी ने दोनों दोस्तों को 1-1 हजार रूपए दिए और साथ ही यह कहा कि 1 साल के अंदर तुम्हें इन रुपयों को लौटाना होगा।”
दोनों ने गुरुजी की बात मान ली फिर वह पैसे लेकर चल पड़े। रास्ते में अरुण ने कहा – “हमें इन रुपयों से कोई अच्छा सा काम शुरू करना चाहिए”
पर वरुण ने कहा – “नहीं अब हम कुछ दिन अच्छे स्थानों पर घूमने जाएंगे और मौज करेंगे।”
1 साल बीत जाने के बाद दोनों दोस्त गुरुजी के पास पहुंचे। गुरुजी ने पहले वरुण से पूछा – “तुमने रुपयों का क्या किया? क्या लौटाने के लिए रकम लाए हो?
वरुण ने मुंह लटका कर जवाब दिया – “गुरुजी किसी ने धोखा देकर वे रुपए ठग लिए।” फिर गुरु जी ने अरुण से पूछा तुम भी खाली हाथ आए हो क्या? अरुण ने मुस्कुराकर जवाब दिया – “नहीं गुरु जी यह लीजिए आपके 1 हजार रूपए और अतिरिक्त 1 हजार रुपए।
गुरुजी ने पूछा – तुम इतने रुपए कैसे कमाए? क्या तुमने किसी को धोखा दिया है? अरुण बोला – “जी नहीं मैंने तो अपनी सूझबूझ और मेहनत से यह रुपए कमाए हैं। एक किसान को परेशान देखकर मैंने उसके सारे फल खरीद लिए फिर उन्हें शहर में जाकर बेच दिया। इसके बाद वह किसान प्रतिदिन मुझे फल लाकर देता और मैं उसे शहर में जाकर बेच देता था। कुछ दिनों के बाद मैंने शहर में दुकान ले ली और फलों का कारोबार शुरू किया।”
इतना कहकर उसने गुरुजी को मदद करने के लिए धन्यवाद दिया। और अतिरिक्त रुपए किसी जरूरतमंद व्यक्ति को देने के लिए, रखने का आग्रह किया।
गुरुजी अरुण से बहुत खुश हुए उन्होंने वरुण से कहा – “अगर तुम भी समझदारी तथा मेहनत से काम करते तो सफल हो सकते थे।”
अरुण ने कहा – “अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है समय का सम्मान करो और श्रम का महत्व समझो सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।”
कर्मों का फल (Short Moral Stories)

एक बार की बात है एक गाय घास चरने के लिए जंगल में गई। शाम ढलने ही वाली थी कि उसने देखा एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव आ रहा था।
गाय डर के मारे इधर-उधर भागने लगी वह बाग भी उसके पीछे दौड़ने लगा दौड़ते हुए गाय को सामने एक तालाब दिखाई दिया। घबराई हुई गाय उस तालाब के अंदर घुस गई वह बाघ भी उसका पीछा करते हुए तालाब के अंदर घुस गया।
तब बाघ ने देखा वह तालाब बहुत गहरा नहीं था उसमें पानी कम था और वह कीचड़ से भरा हुआ था उन दोनों के बीच दूरी काफी कम हो गई लेकिन अब वे दोनों कुछ भी नहीं कर पा रहे थे वह गाय उस कीचड़ के अंदर धीरे-धीरे धसने लगी वह बाग भी उसके पास होते हुए उसे पकड़ नहीं पा रहा था।
बाघ भी धीरे-धीरे कीचड़ के अंदर धसने लगा। दोनों ही करीब – करीब गले तक कीचड़ के अंदर फस गए। दोनों हिल भी नहीं पा रहे थे गाय के करीब होने के बावजूद भी वह बाग उसे नहीं पकड़ पा रहा था।
थोड़ी देर बाद उस गाय ने उस बाघ से पूछा – “क्या तुम्हारा कोई गुरु या मालिक है? बाघ ने गिराते हुए कहा – “मैं तो जंगल का राजा हूं मेरा कोई मालिक नहीं। मैं खुद ही जंगल का मालिक हूं।”
फिर गाय ने कहा – “लेकिन तुम्हारी उस शक्ति का यहां पर क्या उपयोग है? उस बाघ ने कहा – तुम भी तो कीचड़ में फस गई हो और मरने के करीब हो। तुम्हारी हालत भी तो मेरे ही जैसी है।
गाय ने मुस्कुराते हुए कहा – “बिल्कुल नहीं मेरा मालिक जब शाम को जब घर आएगा और मुझे वहां नहीं पाएगा तो ढूंढते हुए यहां जरूर आएगा। और मुझे इस कीचड़ से निकालकर अपने घर ले जाएगा। लेकिन तुम्हें कौन ले जाएगा?
थोड़ी ही देर में सच में ही एक आदमी वहां पर आया और गाय को कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले गया। जाते समय गाय और उसका मालिक दोनों एक दूसरे की तरफ कृतज्ञ पूर्वक देख रहे थे वह चाहते हुए भी बाघ को उस कीचड़ से नहीं निकाल सकते थे क्योंकि उन्हें अपनी जान का खतरा था।
दोस्तों किसी पर निर्भर नहीं होना अच्छी बात है लेकिन “मैं ही सब हूं मुझे किसी के सहयोग की कोई आवश्यकता नहीं है यही अहंकार है।” और यही से विनाश का बीजारोपण हो जाता है ईश्वर से बड़ा सच्चा हितैषी कोई नहीं होता क्योंकि वही अनेक रूपों में हमारी रक्षा करता है।
कहानी की सीख (Moral of the story)
इस कहानी में गाय समर्पित ह्रदय का प्रतीक है बाघ अहंकारी मन का प्रतीक है और मालिक ईश्वर का प्रतीक है कीचड़ यह संसार है और यह संघर्ष अस्तित्व की लड़ाई है।
सूझ बुझ (Moral Stories in Hindi)
रामलाल कपड़े के बड़े व्यापारी थे वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ गांव में रहते थे रामलाल को अक्सर कपड़ों की खरीदारी के लिए शहर जाना पड़ता था कृष्णा उनका जिगरी दोस्त था।
एक बार रामलाल के जन्मदिन पर कृष्णा ने उन्हें एक कीमती घड़ी तोहफे के रूप में दी। रामलाल को घड़ी बहुत पसंद आई वे उसे संभाल कर रखते थे उनके यहां तीन नौकर थे रामलाल के मकान के बगल में ही नौकर रहते थे।
एक दिन रामलाल को कपड़े खरीदने शहर जाना था वह नहा- धोकर तैयार हो गए और पत्नी से कहा – “मालती जरा मेरी घड़ी ला दो तो।” मालती को कमरे में कहीं भी घड़ी नहीं मिली। वहां लौट कर आई और बोली – “सुनिए जी कमरे में से घड़ी गायब है मुझे कहीं नहीं मिली।”
रामलाल निराश हो गए उन्होंने तुरंत नौकरों को बुलाया। तीनों ने घड़ी चुराने की बात से इनकार किया। रामलाल को पक्का यकीन था कि तीनों में से किसी एक ने जरूर घड़ी चोरी की है। मगर सबूत नहीं था रामलाल को एक उपाय सूझा। उन्होंने तीनों नौकरों को बुलाकर बराबर लंबाई वाली तीन लकड़िया दी और कहा तुम लोग आज रात को अपनी अपनी लकड़ी अपने – अपने सिरहाने रख कर सो जाओ।
कल सवेरे लकड़ी लेकर मेरे पास लाना। रात के समय लकड़ी की लंबाई 1 इंच बढ़ने वाली है। यह जादुई लकड़ियां है। तीनों नौकर अपनी-अपनी लकड़ी सिरहाने रख कर सो गए।
सुबह होने के पहले एक नौकर उठ गया वह बेचैन था। उसने अपने लकड़ी निकाली और उससे 1 इंच का टुकड़ा काट दिया। उसने सोचा की लकड़ी की लंबाई जरूर 1 इंच बढ़ी होगी। सवेरा होते ही रामलाल ने तीनों नौकरों को बुलाया और लकड़ियों की जांच की। दो नौकरों की लकड़ियां बराबर थी तीसरे की लकड़ी एक इंच छोटी थी। वही असली चोर था रामलाल ने तुरंत पुलिस को बुलाया और चोर को सौंप दिया।
मूर्ख माली की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)
बहुत दिन पहले की बात है एक फलों के बाग का माली बहुत ही परिश्रम से अपने बाग में काम करता था। इस कारण उसका बाग बहुत सुंदर था।
एक दिन उस माली के मित्र ने आकर उससे कहा – दोस्त शहर में मेला लगा है और आज मेले का अंतिम दिन है चलो आज हम दोनों मेला घूम आए।
माली ने मना करते हुए कहा – मेरे बाग में पेड़ पौधों को पानी कौन देगा उसी बाग में एक पेड़ में एक बंदर भी रहता था जिसको माली प्यार से जग्गू कहकर बुलाता था। वह माली का बहुत ही अच्छा दोस्त था।
जब जग्गू ने दोनों दोस्तों की बातें सुनी तो पेड़ पर से लटकते हुए वह उनसे कहने लगा – मेरे दोस्त तुम मेला घूमने जाओ मैं तुम्हारे बाघ के पेड़ पौधों में पानी डाल दूंगा। यह सुनकर माली अपने दोस्त के साथ मेला घूमने चला गया।
जैसे ही माली और उसका मित्र मेला घूमने निकले तभी माली के दोस्त जग्गू ने अपने ढेर सारे बंदर दोस्तों को बुलाकर उनको बाग में पानी डालने का काम बताया।
तब उनके मित्र बंदरों में से एक बंदर ने पूछा – हम हर पौधे में कितना पानी डालें? माली के दोस्त जग्गू ने कहा – मुझे मालूम नहीं और मैं पूछना भी भूल गया। शायद जितना बड़ा पौधा है उतना ही उसमें पानी डालेगा क्योंकि पौधों की जड़े पानी पीती है। इसलिए छोटी जड़े थोड़ा पानी पिएगी और बड़ी जड़े ज्यादा पानी पिएगी ।
उसकी बात सुनकर उसके दोस्त बंदरों में से एक बंदर ने कहा – हमें यह कैसा पता चलेगा कि किस पौधे की जड़ बड़ी है और किसकी छोटी? माली के दोस्त जग्गू ने कहा – हमें सब पौधों को उखाड़ कर उनकी जड़ों का नाप देखना होगा। अतः सभी बंदर पेड़ पौधे उखाड़-उखाड़ कर उनकी जड़ों के साइज को देखकर पानी देने लगे।
जब शाम को माली लौटा तो उसे अपनी मूर्खता पर बहुत अधिक क्रोध आया। उसने एक जानवर की बात कैसे मान ली थी कि जग्गू उसके परिश्रम से तैयार किए गए सुंदर बाग के पौधों में पानी डाल देगा।
कहानी की शिक्षा
‘बिना विचारे जो करे, वह पीछे पछताए।
तीन मछलियां (Moral Stories in Hindi)
बहुत पुराने समय की बात है तीन मछलियां बहुत ही खूबसूरत तालाब में रहती थी तीनों मछलियां बहुत ही अच्छे दोस्त थे वह पूरा दिन तलाब में तैरते हुए अपना समय खुशी-खुशी व्यतीत करते थे और वे अच्छी-अच्छी चीजें खाया करते थे जो पास के गांव से बहकर आते थे।
दो मछुआरों ने तालाब के पास से गुजरते हुए मछलियों को देखा। और एक मछुआरे ने दूसरे मछुआरे से कहा – वह देखो अगर सारी की सारी मछलियां तालाब के ऊपर आ जाए तो इस तालाब में बहुत ही ज्यादा मछलियां हैं। तो दूसरे दोस्त ने कहा – चलो हम अपने जाल लेकर आते हैं। और बहुत सारी मछलियां पकड़ेंगे। और इन मछलियों को बाजार में बेचकर बहुत सारा पैसा कमाएंगे।
जब तीनों मछलियों ने यह बात सुनी तो वह तीनों घबरा गए। तभी एक मछली ने कहा – मुझे लगता है हम लोगों को यह तलाब जल्द ही छोड़ देनी चाहिए। तो दूसरी मछली ने कहा – नहीं नहीं मैं इस तालाब से नहीं जाऊंगा। मेरा परिवार बहुत सालों से इस तालाब पर रहता है। और मैं यह भी चाहूंगा कि मेरा बच्चा इस तालाब में रहकर बड़ा हो।
यह सुनकर पहला मछली तलाब को छोड़कर चला गया। लेकिन दूसरा मछली उसी तालाब में रुका रहा। अब तालाब में केवल दो दोस्त मछलियां रह गई।
अगले दिन सुबह दो मछुआरे बड़ा सा जाल लेकर तालाब के किनारे पहुंच गए। दोनों मछुआरे आगे बढ़े और उन्होंने मछलियों को पकड़ने के लिए तालाब में जाल फेंका। और सभी मछलियां फस गई।
पहला दोस्त जब पानी से बाहर आया तो छटपटाने लगा और दूसरा दोस्त चुपचाप पड़ा रहा और वो हिला भी नहीं। और वह ऐसे नाटक कर रहा था जैसे कि मर गया हो। यह देखकर मछुआरे ने दूसरे मछली को मरा हुआ समझकर। पानी में फेंक दिया। इस तरह मछुआरे ने दोनों मछलियों में से एक को बाकी मछलियों के साथ पकड़ लिया।
कहानी की शिक्षा
इस कहानी की सीख भाग्य भी हमेशा होशियार का साथ देता है।
साहस की कहानी
एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी उसने अपने जीवन में पहली बार किसी शेर को देखा। शेर को बहुत लंबा, भयानक शरीर, ऊंची दहाड़ और चाल-ढाल देखकर लोमड़ी डर गई। वह वहीं पर बेहोश होकर गिर गई।
उसके बाद अगले दिन फिर उसे वही शेर दिखाई दिया। वह अब भी डरी हुई थी लेकिन उसने साहस जुटाया। और डर को छुपाने की कोशिश की और वहां से जल्द से जल्द भाग गई।
तीसरे दिन स्थिति पूरी तरह बदल गई लोमड़ी सीधे शेर के पास पहुंच गई और बोली – “जय हो महाराज सब ठीक-ठाक है ना?” वह शेर से बिल्कुल परिचितों की तरह बात करने लगी अब उसे शेर से बिल्कुल डर नहीं लग रहा था पिछले 2 दिनों से लगातार शेर को देख देखकर वह उससे परिचित हो गई थी इसलिए कहा गया है परिचय होने से साहस मिलता है।
शेर और हाथी की दोस्ती
एक जंगल में एक शेर रहता था शेर को बहुत भूख लगी थी वह जंगल में गया और उसने हिरण को घास चरते हुए देखा और वह उसे मारकर खा गया लेकिन खाते वक्त शेर के गले में हड्डी का टुकड़ा फस गया।
शेर उस हड्डी को अपने गले से नहीं निकाल पा रहा था शेर दर्द से इधर-उधर भटकने लगा कि कोई उसकी मदद कर दे। शेर को रास्ते में एक मोर नजर आई शेर ने मोर से कहा – “मोर भाई मेरे गले में हड्डी फंस गई है क्या तुम इसे निकाल दोगे।” तमोर ने कहा – “नहीं मुझे बेवकूफ समझा है क्या तुम इसी बहाने मुझे खाना चाहते हो चले जाओ यहां से।”
शेर उदास होकर वहां से आगे बढ़ गया और उसे एक भालू नजर आया उसके पास जाकर शेर ने कहा – “भालू भाई मेरे गले में हड्डी फंस गई है क्या तुम इसे निकाल दोगे।” फिर भालू ने कहा – “चलो भी मुझे आराम करने दो मैं बहुत थका हुआ हूं तुम यहां से जाओ। मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।”
बेचारा शेर उदास होकर फिर से आगे बढ़ने लगा उसे एक हाथी नजर आई हाथी एक आम के पेड़ के नीचे था उसे बहुत भूख लगी थी वह आम खाना चाहता था पर आम बहुत ही ऊपर था वह बहुत उदास था तभी शेर को एक सुझाव आया और हाथी के पास जाकर कहा – “मैं तुम्हारी मदद करूंगा लेकिन उसके बदले तुम्हें मेरी मदद करनी होगी ।” तभी हांथी ने शेर से कहां -“मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं? तब शेर नहीं कहा – “मेरे गले में हड्डी फंस गई है कृपया आप इसे निकाल दो।”
तब हाथी यह बात सुनकर हड्डी निकालने को तैयार हो गया और अपनी सूंड की मदद से शेर के गले में फसी हुई हड्डी निकाल दी। शेर के गले का दर्द कम हुआ और वह आम के पेड़ पर चढ़ गया और आम तोड़कर हाथी को दे दिया हाथी खुश होकर आम खाने लगा। उस दिन से हाथी और शेर बहुत ही अच्छे दोस्त बन गए।
इस कहानी की सीख
कोई भी मुसीबत हमें बोलकर नहीं आती इसलिए हमें सबसे मिल जुल कर रहना चाहिए। मुसीबत में कब कौन काम आ जाए हमें नहीं पता इसलिए दुश्मन को भी दोस्त बना कर रखना चाहिए।
आलसी हिरण
एक दिन हिरनी अपने बच्चे को एक बुद्धिमान हिरण के पास लेकर गई और हिरन से बोली – “मेरे बुद्धिमान भाई मेरे बेटे को भी अपनी जान बचाने की कुछ तरकीबे सीखा दो। ताकि वह कभी संकट में फंसे तो अपनी जान बचा सके।” बुद्धिमान हिरण मान गया।
छोटा हिरण बहुत ही शैतान था और उसका मन दूसरे बच्चों के साथ खेलने में ही लगा रहता था। वह हमेशा कक्षा से गायब रहने लगा था और उसने अपने बचाव की कुछ भी तरकीब नहीं सीखी। 1 दिन खेलते-खेलते वह एक जाल में फस गया।
जब उसके मां को यह पता चला तो वह बहुत रोई। बड़ा हिरन उसके मां के पास गया और उसे बोला – “प्यारी बहना मुझे भी बहुत दुख है तुम्हारा बच्चा जाल में फस गया। मैंने उसे सिखाने की बहुत कोशिश की थी लेकिन वह सीखना ही नहीं चाहता था। अगर कोई विद्यार्थी अगर सीखना ही ना चाहे तो शिक्षकों उसे कैसे सीखा सकता है?”
Moral Stories in Hindi {FAQs}
ऐसे कहानियाँ जो हमे मनोरंजन के साथ-साथ हमें महत्वपूर्ण सिख देता है।
Moral Story बच्चों को सुनाने से उनका बौद्धिक विकास होता है और बच्चों को सिख भी मिलती है।
अंतिम शब्द
उम्मीद करते हैं दोस्तों आप सभी को हमारे द्वारा ऊपर दी गई सारी कहानियां (Best Short Moral Stories in Hindi) पसंद आई होगी। अगर आप सभी को हमारी यह कहानियां पसंद आई हो तो हमारे ब्लॉग को जरूर सब्सक्राइब करें और अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले ताकि उन्हें भी यह महत्वपूर्ण कहानियां पढ़ने को मिले धन्यवाद
Note : दोस्तों हमने अभी इस लेख में केवल 21 कहानियों को सम्मिलित किया है। आने वाले समय में हम इसमें और महत्वपूर्ण कहानियों “Best Short Moral Stories in Hindi” को सम्मिलित करने वाले हैं। अगर आपको और कहानियां पढ़नी है तो हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से बता सकते हैं। अगर आपके पास कोई कहानी हो तो हमें हमारे कांटेक्ट के माध्यम से भेज सकते हैं। हम आपके मोरल कहानी को रीड करके अपने इस आर्टिकल में जल्द ही डालने की कोशिश करेंगे।
