Dharm Kya Hai : दुनिया में विभिन्न धर्म है जिनमें से कुछ तो वास्तव में धर्म है ही नहीं बल्कि वह मत, मजहब और संप्रदाय है अर्थात जिस धर्म को किसी एक व्यक्ति के द्वारा स्थापित किया जाता है उसे धर्म नहीं बल्कि मत, संप्रदाय कहते हैं।

क्योंकि उस धर्म के अंतर्गत व्यक्ति की विचारधारा काम करती है और उसकी विचारधारा को ही लोग फॉलो करते हैं। विद्वानों के अनुसार धर्म के अलग-अलग मतलब बताए गए हैं और अलग-अलग परिभाषा दी गई हैं। इस पेज पर आज हम जानेंगे कि “धर्म क्या है” और “धर्म की परिभाषा क्या है?”
धर्म क्या है? (Dharm Kya Hai)
जो चीज धारण करने के लायक होती है उसे ही धर्म कहा जाता है क्योंकि धर्म का जब भावार्थ निकाला जाता है तो इसका मतलब निकल करके आता है धारण करना। वही जो धारण करने के लायक नहीं होता है उसे अधर्म कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जिन सारस्वत सत्य नियमों को हमारे द्वारा धारण किया जाता है उसे ही धर्म कहते हैं। धर्म हमारे दुखों, बंधनों और भ्रमों को दूर कर हमें सत्य के मार्ग पर ले जाने पर सहायता करता है।
गुरुद्वारे, मठ, मस्जिद, मंदिर इत्यादि भगवान की प्रार्थना करने के अलग अलग रास्ते हैं परंतु यह धर्म नहीं है।
धर्म की परिभाषा
विभिन्न विद्वानों के अनुसार धर्म की जो परिभाषाएं हैं, वह निम्नलिखित है।
मजूमदार और मदन के अनुसार
धर्म किसी डर का इंसानी रिजल्ट है जोकि इंद्रियों से बिल्कुल हटकर है और पारलौकिक है।
डाॅ. राधाकृष्णन के अनुसार
धर्म की अवधारणा के अंतर्गत ऐसे स्वरूप और प्रतिक्रियाओं को हिंदुओं के द्वारा लाया जाता है जिसकी वजह से इंसानी जिंदगी का निर्माण होता है और उसे धारण किया जाता है।
फ्रेजर के अनुसार
फ्रेजर के अनुसार धर्म की परिभाषा के तहत इंसानों से भी अच्छी ऐसी शक्तियों की आराधना करना है जिसके बारे में इंसान विश्वास करते हैं कि वह दुनिया और इंसानी जिंदगी को कंट्रोल करती है और उन्हें दिशा निर्देश देती है।
टेलर के अनुसार
टेलर के अनुसार धर्म का मतलब होता है किसी आध्यात्म वाली शक्ति में अपना भरोसा जताना।
धर्म का अर्थ गीता के अनुसार
श्रीमद भगवत गीता में श्रीकृष्ण के द्वारा धर्म के विषय में अर्जुन को उपदेश दिया गया है, वह उपदेश कुछ इस प्रकार है।
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच: ।।
उपरोक्त गीता के श्लोक के अंतर्गत श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को यह कहा जा रहा है कि अर्जुन तुम सभी धर्मों को छोड़ दो अर्थात तुम जिसे धर्म समझ कर के बैठे हो वह वास्तव में तो धर्म है ही नहीं। धर्म तो सिर्फ और सिर्फ एक ही है जो कि शाश्वत है।
आगे श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि तुम मेरी शरण में चले आओ अर्थात श्रीकृष्ण का मतलब है कि तुम ईश्वर भक्ति के लिए ईश्वर प्राप्ति की शरण में चले जाओ। इसके अलावा धर्म की परिभाषा देते हुए स्वामी विवेकानंद के द्वारा कहा गया है कि धर्म से मतलब भगवान को धारण करने से है।
धर्म कितने प्रकार के हैं?
देखा जाए तो धर्म के टोटल 2 प्रकार है जिसमें से पहला प्रकार स्वाभाविक धर्म है और दूसरा प्रकार भागवत धर्म है।
स्वभाविक धर्म का मतलब होता है ऐसा धर्म जिस पर अमल करने से अथवा जिस पर चलने से दैनिक संरचना से संबंधित काम पूरे हो जाते हैं अर्थात कहने का मतलब है कि आहार, निद्रा और मैथुन से संबंधित क्रियाएं पूरी हो जाती है।
वही भागवत धर्म का मतलब होता है कि एक ऐसा धर्म जो इंसानों को दूसरे जीवो से बिल्कुल अलग बनाता है।
हालांकि भागवत धर्म और स्वाभाविक धर्म दोनों का उद्देश्य सुख हासिल करना ही है परंतु स्वाभाविक धर्म में सुख की गहनता लिमिट होती है परंतु भागवत धर्म में सुख की गहनता अनंत होती है।
हिंदू धर्म क्या है?
हिंदू धर्म एक धर्म भी है साथ ही यह जीवन पद्धति भी है अर्थात जीवन जीने की कला है, जिसके अधिकतर अनुयाई भारत देश में पाए जाते हैं।
इसके अलावा नेपाल और मॉरीशस जैसे देश में भी हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है। इसके अलावा हिंदू समुदाय के लोग बड़ी मात्रा में फीजी और सुरीनाम जैसे इलाके में भी पाए जाते हैं।
हिंदू धर्म को ही दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म कहा जाता है। इसके अलावा इसे वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म भी कहा जाता है।
इसका मतलब यह होता है कि इंसानों के पैदा होने के पहले से ही हिंदू धर्म की उत्पत्ति हो चुकी थी। विद्वानों के अनुसार हिंदू धर्म का कोई भी संस्थापक नहीं है तथा यह अलग-अलग संस्कृति और परंपराओं का सम्मिश्रण है।
हिंदू धर्म अपने अंदर अलग-अलग प्रकार की उपासना की पद्धति, संप्रदाय, दर्शन और मत को समेटे हुए हैं।
अनुयायियों की संख्या के तौर पर हिंदू धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है और इसके सबसे ज्यादा उपासक भारत देश में रहते हैं और भारत देश के अलावा बड़ी मात्रा में हिंदू समुदाय के लोग अथवा हिंदू मान्यता को मानने वाले लोग नेपाल देश में भी रहते हैं।
हिंदू धर्म में विभिन्न प्रकार के देवी देवताओं की पूजा की जाती है। हालांकि मुख्य तौर पर हिंदू धर्म में 33 कोटी देवी देवता है।
अलग अलग होने के बावजूद भी हिंदू धर्म को एकेश्वरवादी धर्म कहते हैं। इंडोनेशिया जैसे देश में इस धर्म का आधिकारिक नाम हिंदू आगम है। यह धर्म अथवा संप्रदाय होने के साथ ही साथ जीवन जीने की एक पद्धति भी है।
सामान्य धर्म क्या है?
सामान्य धर्म में हिंदू मुस्लिम इसाई जैन जैसे सारे मत मजहब और संप्रदाय इकट्ठे होते हैं और समतामूलक स्थिति में रखते हुए काम करते हैं। सामान्य धर्म के तहत जो सनातन धर्म की पुस्तकों में है वही बाइबिल में भी है परंतु हम इंसान उसे सही प्रकार से समझ नहीं पाते हैं।
सनातन धर्म क्या है?
सनातन धर्म के बारे में कहा जाता है कि इसे किसी एक व्यक्ति या फिर दूसरे लोगों के ग्रुप के द्वारा नहीं तैयार किया गया था बल्कि यह ऐसा धर्म है जो स्वयं भगवान के द्वारा स्थापित किया गया है। हालांकि पश्चिमी विद्वानों के अनुसार हिंदू धर्म सिंधु घाटी में लगभग 5000 साल पहले स्थापित हुआ था।
परंतु सनातन धर्म के धर्म ग्रंथ इस बात का खंडन करते हैं। ऐसा कहते हैं कि भगवान श्री विष्णु जी के द्वारा ब्रह्मा जी की रचना की गई और ब्रह्मा जी को वेद का ज्ञान दिया गया और उसी प्राप्त हुए ज्ञान के द्वारा भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा ब्रह्मांड को रचा गया अर्थात सनातन धर्म परमात्मा के द्वारा बनाया गया धर्म है।
सनातन धर्म को दिखाने के लिए कोई भी अधिकारी नहीं है। इसके पीछे वजह यह है कि जब सनातन धर्म था तो उस समय दूसरा कोई धर्म था ही नहीं। हालांकि समय व्यतीत होने के पश्चात विभिन्न धर्म मत मजहब और संप्रदाय का विकास हुआ अथवा पैदा हुए।
इसलिए हिंदू धर्म को दूसरे धर्म से अलग करने की जरूरत थी। यही वजह है कि फिर सनातन शब्द बनाया गया।
संस्कृत भाषा में इसका मतलब प्राचीन होता है। सनातन और हिंदू दोनों एक ही धर्म है और वास्तव में सनातन ही धर्म कहलाने लायक है क्योंकि इसका ना तो आदी है ना अंत है।
Dharm Kya Hai [Video]
Dharm Kya Hai से सम्बंधित प्रश्न उत्तर {FAQs}
हिंदू धर्म अरबों खरबों साल पुराना है।
पहला धर्म सनातन हिंदू था।
दुनिया का पहला हिंदू मनु था?
अंतिम शब्द
आशा करते हैं दोस्तों आप सभी को आज का यह आर्टिकल पसंद Dharm Kya Hai पसंद आया होगा। आज हमने धर्म की परिभाषा और प्रकार क्या है? की पूरी जानकारी देने की कोशिश की है।
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