श्री गणेश चालीसा पाठ (Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi) : नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से आप सभी का हमारे Website desifunnel.com में स्वागत है। तो आज हम आपको Shree Ganesh Chalisa Lyrics या श्री गणेश चालीसा पाठ बताएँगे।

भगवान श्री गणेश चालीसा (Shree Ganesh Chalisa) का हमारे जीवन में बहुत ही महत्त्व है हर एक पाठ या पूजा को करने से पहले भगवान श्री गणेश जी का नाम लिया जाता है। मान्यता ऐसा है कि अगर आप कोई भी या किसी भी देवी – देवता पूजा करने जा रहे और पहले भगवान श्री गणेश जी के मंत्रों का उच्चारण या आवाहन नहीं करते हैं। तो कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है।
भगवान श्री गणेश जी को विघ्न हरता कहा जाता है। कहा जाता है किसी भी तरह की है आपको दुख तकलीफ आ रही है। तो सभी तरह के संकट आपके विघ्न हरता हर लेते हैं गणेश चालीसा(Ganesh Chalisa) पढ़ना बहुत ही लाभकारी साबित होता है। यदि आप किसी भी तरह की परेशानी में फंसे हैं तो Ganesh Chalisa रोज पढ़ने से विघ्न दूर हो जाते हैं।
Ganesh Chalisa Lyrics – श्री गणेश चालीसा पाठ
श्री गणेश चालीसा पाठ पाठ पढ़े (Ganesh Chalisa Lyrics) :-
श्री गणेश चालीसा
“जय जय गणपति गणराज सद्गुण सदन
कविवर बदन कृपाल”।
“विघ्न हरण मंगल करण ,
जय जय गिरिजालाल”॥
जय जय जय गणपति राजू।
मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजित मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।
गौरी ललन विश्व-विधाता॥
ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे।
मूषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगल कारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।
अतिथि जानि कै गौरी सुखारी।
बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै।
पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥
बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन सुख मंगल गावहिं।
नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं।
सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आए शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक देखन चाहत नाहीं॥
गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो।
उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि मन सकुचाई।
का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास उमा कर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥
पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।
बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥
गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी।
सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा।
शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए।
काटि चक्र सो गज शिर लाए॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन भरमि भुलाई।
रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहस मुख सकै न गाई॥
मैं मति हीन मलीन दुखारी।
करहुँ कौन बिधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
दोहा (Ganesh Chalisa)
1) श्री गणेश,यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान। नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान ॥1ll
2) सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश ॥2ll
3) जय जय गणपति गणराज सद्गुण सदन
कविवर बदन कृपाल”।
विघ्न हरण मंगल करण,जय जय गिरिजालाल ॥3ll
चौपाईया (Ganesh Chalisa)
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना,।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥1II
राजत मणि मुक्तन उर माला,।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥2ll
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं,।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥3ll
सुन्दर पीताम्बर तन साजित,।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥4ll
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता,।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥5ll
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे,।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥6ll
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी,।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥7ll
एक समय गिरिराज कुमारी,।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥8ll
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥9ll
अतिथि जानी के गौरी सुखारी। बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥10ll
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥11ll
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला ॥12ll
Ganesh Chalisa Lyrics [Video]
गणेश चालीसा पढ़ने के नियम
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करके ही गणेश चालीसा का पाठ करें।
- श्री गणेश चालीसा को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पढ़ें।
- गणेश चालीसा का पाठ करते समय आपके ध्यान में किसी भी के लिए बुरी बात नहीं आनी चाहिए।
- भगवान गणेश जी की पूजा आराधना बुधवार को अनिवार्य होती है।
गणेश चालीसा के फायदे – Ganesh Chalisa Benefits
- श्री गणेश चालीसा का पाठ और पूजा करने से सारे काल दूर हो जाते हैं।
- माना जाता है श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से घर में खुशहाली आती है सारे संकट दूर हो जाते हैं।
- आपके क्षेत्र में आपको सफलता मिलती है।
- यदि घर में कोई परिवारिक कलह तो वह भी दूर हो जाएगी।
इन्हे भी पढ़े
Ganesh Chalisa Pdf Download – गणेश चालीसा पाठ
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Ganesh Chalisa Mp3 Download
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गणेश चालीसा पाठ से सम्बंधित प्रश्न उत्तर {FAQs}
गणेश चालीसा को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके एकाग्र मन से पढ़ा जाना चाहिए।
गणेश चालीसा का पाठ करते समय आपके ध्यान में किसी भी तरह का किसी के लिए बुरी बात नहीं आनी चाहिए।
गणेश चालीसा पढ़ने से सारी परेशानियां दूर होती है और जीवन में खुशहाली छा जाती है।
गणेश चालीसा पर अंतिम शब्द
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