इंटरनेट क्या है?(Internet kya hai) : आज अधिकतर लोगों के पास स्मार्ट फोन और लैपटॉप तथा कंप्यूटर है। यह इंसानों की जिंदगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं परंतु बता दें कि सिर्फ यह चीजें ही इंसानों के पास होना काफी नहीं है बल्कि इन चीजों के जरिए किसी भी प्रकार की जानकारी को प्राप्त करने के लिए जो सबसे आवश्यक वस्तु है वह है इंटरनेट।

जी हां वही इंटरनेट जिसके जरिए हम अपने डिवाइस में गाना सुन सकते हैं, वीडियो देख सकते हैं, किसी भी फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं अथवा दुनिया भर की जानकारी को घर बैठे ही प्राप्त कर सकते हैं।
हालांकि इंटरनेट के नाम पर लोगों को सिर्फ इतना पता है कि इंटरनेट के द्वारा ही हमें सारी जानकारी प्राप्त होती है परंतु इंटरनेट की जानकारी सिर्फ यही तक सीमित नहीं है बल्कि यह कहीं अधिक है। इस आर्टिकल में हम आपको “इंटरनेट क्या है (Internet kya hai)“ के बारे में जानकारी देंगे साथ ही इंटरनेट के बारे में पूरी जानकारी भी इसी आर्टिकल में आपको प्राप्त होगी।
इंटरनेट क्या है? – What is Internet in Hindi
इंटरनेट दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे व्यस्त कंप्यूटर नेटवर्क है जो की इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की लेटेस्ट प्रणाली है। इंटरनेट कम्युनिकेशन के प्रोटोकॉल के जरिए संचालित होता है। हिंदी भाषा में इंटरनेट को अंतरजाल कहा जाता है।
सामान्य शब्दों में इंटरनेट की व्याख्या की जाए तो दुनिया के सभी कंप्यूटरों का आपस में जुड़ना ही इंटरनेट है। इंटरनेट से जुड़े हुए कंप्यूटर के द्वारा हम किसी भी प्रकार की इंफॉर्मेशन घर बैठे ही प्राप्त कर सकते हैं।
जितने भी कंप्यूटर इंटरनेट से जुड़े हुए होते हैं उन सभी कंप्यूटर की अलग अलग पहचान होती है जिसे की ip address कहा जाता है। आईपी एड्रेस गणित की संख्या के अंकों में होता है, जैसे कि 103.195.185.222
आईपी एड्रेस के द्वारा ही किसी भी कंप्यूटर की लोकेशन को आसानी से ट्रेस किया जा सकता है। डोमेन नेम सर्वर के द्वारा आईपी एड्रेस को नाम दिया जाता है जो कि उस ip-address को रिप्रेजेंट करता है।
इंटरनेट की परिभाषा – Definition of Internet
अंग्रेजी भाषा के शब्द Internetworked से ही इंटरनेट शब्द लिया गया है और हिंदी भाषा में इंटरनेट का मतलब अंतरजाल होता है। अंतरजाल को सामान्य भाषा में महाजाल कहा जाता है। इस दुनिया में जितने भी कंप्यूटर हैं वह सभी कहीं ना कहीं इंटरनेट से जुड़े हुए हैं।
इंटरनेट का इतिहास – History of Internet
अमेरिकन सिक्योरिटी डिपार्टमेंट में साल 1969 में सबसे पहले इंटरनेट की शुरुवात हुई थी। वर्ष 1969 में एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी नाम के एक नेटवर्किंग प्रोजेक्ट को लांच किया गया था। इसे लॉन्च करने का प्रमुख कारण यह था कि युद्ध के समय बिना किसी परेशानी के महत्वपूर्ण इंफॉर्मेशन को भेजा जा सके साथ ही संचार व्यवस्था को भी सुरक्षित रखा जा सके।
इसकी लॉन्चिंग के पश्चात जब इसके द्वारा होने वाले फायदे को देखा गया तो उसके पश्चात मिलिट्री, रिसर्चर और साइंटिस्ट लोगों के द्वारा भी इसका इस्तेमाल किया जाने लगा और धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गया।
साल 1970 में ‘Vinton Gray Cerf‘ और ‘Bob Kanh‘ नाम के दो व्यक्तियों के द्वारा इंटरनेट की शुरुआत की गई थी और इसीलिए इन्हें ही इंटरनेट का जनक कहते हैं।
भारत में इंटरनेट कब शुरू हुआ?
वर्ष 1995 में 14 अगस्त के दिन विदेश संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के द्वारा देश के सभी सामान्य लोगों के लिए इंटरनेट की शुरुआत की गई थी। और तब से ही लगातार देश में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।
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इंटरनेट की विशेषताएं – Properties of Internet
ऊपर आपने इंटरनेट से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की। अब आइए हम यह भी जान लेते हैं कि इंटरनेट की विशेषताएं क्या है।
टेलनेट
इसका पूरा नाम टेलेटाइप नेटवर्क प्रोटोकोल होता है और इसके द्वारा एक कंप्यूटर को दूसरे कंप्यूटर के साथ एक्सेस करने के लिए होस्ट करने में सहायता प्राप्त होती है। इसके द्वारा एक प्रोग्राम को विंडो होस्ट पर बनाया जाता है और उसी की सहायता से हम फाइल को एक्सेस कर पाते हैं। बड़े पैमाने पर टेलीनेट का इस्तेमाल लाइब्रेरी में किया जाता है।
फाइल ट्रांसफर प्रोटोकोल
यह इंटरनेट का ही साधन होता है। अगर किसी फाइल को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में भेजना होता है तो फाइल ट्रांसफर प्रोटोकोल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके द्वारा आसानी से हम किसी भी फाइल को ढूंढ सकते हैं और उसे आसानी से कॉपी कर सकते हैं। सामान्य तौर पर सॉफ्टवेयर कंपनी के द्वारा फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जाता है।
वर्ल्ड वाइड वेब
हमारे द्वारा इंटरनेट पर जब कुछ सर्च किया जाता है तो डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू की सहायता से डिवाइस की स्क्रीन पर दस्तावेज और अलग-अलग प्रकार के डाटा हमें दिखाई देते हैं और उसी के अंतर्गत वेबपेज भी आते हैं, जो एक प्रकार के दस्तावेज ही होते हैं।
यह जो वेबपेज होते हैं यह हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज टैग के जरिए काम करते हैं और हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज की वजह से ही आपको अपने डिवाइस की स्क्रीन पर एक अट्रैक्टिव वेब पेज दिखाई देता है। जितने भी वेबपेज होते हैं उनकी आइडेंटी अलग-अलग होती है जिसे यूआरएल के नाम से जानते हैं।
ईमेल
ईमेल का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक मेल होता है। इसका इस्तेमाल दूर बैठे हुए व्यक्ति को ईमेल भेजने के लिए किया जाता है, साथ ही ई-मेल प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है। अगर हमें किसी व्यक्ति को ईमेल भेजना है तो इसके लिए हमारे पास सामने वाले व्यक्ति की ईमेल आईडी होनी चाहिए। ईमेल के द्वारा हम सामने वाले व्यक्ति को मैसेज के अलावा विभिन्न प्रकार के दस्तावेज भी भेज सकते हैं।
ईमेल बनाने के लिए कई प्लेटफार्म इंटरनेट पर मौजूद है परंतु सबसे अधिक गूगल के जीमेल प्लेटफार्म का ही इस्तेमाल किया जाता है। आप जीमेल को वेबसाइट के जरिए एक्सेस कर सकते हैं साथ ही एप्लीकेशन के द्वारा भी चला सकते हैं।
जितनी भी ईमेल आईडी होती हैं वह सभी अलग-अलग होती है और दुनिया में जितने भी लोग हैं अगर वह ईमेल आईडी बनाते हैं तो उन्हें अलग-अलग ईमेल आईडी एड्रेस प्राप्त होता है।
इंटरनेट रिले चैट
अधिकतर वेबसाइट में इनेबल रहने वाला यह एक प्रकार का चैट रूम होता है और इसके जरिए अगर यूजर को कोई समस्या है तो वह आसानी से अपनी प्रॉब्लम से संबंधित बातचीत कर सकता है।
इसके भी कई प्रकार होते हैं, जिसके अंतर्गत आप टेक्स्ट अथवा दस्तावेज के जरिए दूसरे व्यक्ति के साथ अपनी समस्या को शेयर कर सकते हैं और समाधान पाने का प्रयास कर सकते हैं।
इंटरनेट कैसे काम करता है?

इंटरनेट का इस्तेमाल तो आज सभी लोग कर रहे हैं परंतु शायद ही काफी लोगों को यह पता हो कि इंटरनेट हमें ऐसे ही इस्तेमाल करने के लिए नहीं मिल रहा है बल्कि इंटरनेट की सर्विस देने के लिए करोड़ों रुपए से लेकर के अरबों रुपए तक खर्च हो रहे हैं।
दरअसल समुद्र के अंदर इंटरनेट की लाइनें बिछी हुई है जिसे ऑप्टिकल फाइबर केबल कहा जाता है और तीन कंपनी से होकर के किसी यूज़र तक इंटरनेट पहुंचता है। इन कंपनियों के तीन हिस्से को टीयर 1, टीयर 2, और टीयर 3 कहा जाता है।
टियर 1 कंपनी
ऐसी कंपनियां जिन्होंने पूरी दुनिया में समुद्र के अंदर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछा कर के रखा है वह इस टीयर में आती है।
टियर 2 कंपनी
इसमें वह सभी कंपनियां शामिल है जो सामान्य जनता तक इंटरनेट पहुंचाती हैव जैसे कि भारत की मुख्य टेलीकॉम कंपनियां बीएसएनएल, एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और रिलायंस।
टियर 3 कंपनी
जो छोटी और लोकल कंपनियां होती हैं वह इसके अंतर्गत आती हैं। इन कंपनियों के द्वारा tier-2 में शामिल बड़ी कंपनियों से डाटा को खरीदा जाता है और फिर उसे अपने कस्टमर तक पहुंचाया जाता है।
इंटरनेट के फायदे – Benefit of Internet
कई लोगों को यह लगता है कि इंटरनेट का फायदा सिर्फ इतना ही है कि उन्हें घर बैठे गेम डाउनलोड करने का मौका मिलता है साथ ही वीडियो और गाने देखने/सुनने का मौका मिलता है। परंतु इंटरनेट के फायदे सिर्फ यही तक सीमित नहीं है। नीचे जानिए इंटरनेट के एडवांटेज क्या है।
ऑनलाइन काम
इंटरनेट के द्वारा work from home का काम भी आजकल जोरों से चल रहा है। इसके अंतर्गत कंपनियों के द्वारा कुछ कर्मचारियों को उनके घर पर रहकर के ही काम करने की सुविधा दी जाती है। यही नहीं कंपनियों के द्वारा कर्मचारियों को घर बैठे काम करने के बावजूद भी बढ़िया सैलरी दी जाती है।
ऑनलाइन बिल
पहले के समय में ऑफिस जाकर के बिल को जमा करना पड़ता था परंतु अब हम विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन के द्वारा पानी का बिल, बिजली का बिल घर बैठे ही ऑनलाइन भर सकते हैं। इसके लिए हमारे पास गूगल पे, पेटीएम अथवा नेट बैंकिंग या क्रेडिट कार्ड अथवा डेबिट कार्ड होना चाहिए।
नौकरी
पहले ऑफलाइन नौकरी ढूंढने के लिए लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था परंतु अब इंटरनेट पर ऐसे बहुत सारे नौकरी वाले पोर्टल और वेबसाइट लॉन्च हो चुकी है जो आपको घर बैठे ही नौकरी ढूंढने में आपकी सहायता करती हैं।
यही नहीं आप घर बैठे ही नौकरी की बात भी पक्की कर सकते हैं और उसके पश्चात नौकरी के स्थल पर जाकर के नौकरी ज्वाइन कर सकते हैं। बस आपको नौकरी पोर्टल पर जा करके अपना अकाउंट बनाना है और नौकरी के लिए अप्लाई करना है।
फ्री लॉन्सिंग
Freelancing के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के काम घर बैठे किए जा सकते हैं। जैसे कि कैप्चा सॉल्व करना, डाटा एंट्री करना, ऑनलाइन आर्टिकल लिखना, ऑनलाइन टाइपिंग करना इत्यादि।
ऑनलाइन शॉपिंग
आपको घर बैठे अगर कुछ भी मंगाना है तो आप इंटरनेट की सहायता से ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल को एक्सेस कर सकते हैं और वहां से कोई भी सामान को बुक करके घर बैठे ही प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही आप किसी भी व्यक्ति को गिफ्ट भी भेज सकते हैं।
फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, अमेजॉन यह कुछ ऐसी लोकप्रिय वेबसाइट है जिस पर आप अपनी पसंद के सामान को सर्च कर सकते हैं और उसकी बुकिंग कर सकते हैं और घर बैठे ही सामान की प्राप्ति भी कर सकते हैं।
मनोरंजन
पहले के समय में जो कार्यक्रम टीवी पर आते थे लोग उन्हें ही देख पाते थे परंतु इंटरनेट की वजह से अब लोग अपनी पसंदीदा चीजें जब चाहे तब अपने स्मार्टफोन या फिर कंप्यूटर पर देख पा रहे हैं। लोगों को कुछ भी देखना होता है तो वह आसानी से यूट्यूब के द्वारा देख सकते हैं फिर चाहे कार्यक्रम नया हो अथवा पुराना हो।
बिजनेस एडवरटाइजिंग
इंटरनेट की वजह से ही अब अपने बिजनेस की मार्केटिंग करना अथवा एडवरटाइजिंग करना बहुत आसान हो गया है। आप फेसबुक पेज बना करके अपने बिजनेस की एडवरटाइजिंग कर सकते हैं अथवा यूट्यूब पर अपने बिजनेस का वीडियो बना करके अपलोड कर सकते हैं। वही फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल के द्वारा भी आप अपने बिजनेस की मार्केटिंग कर सकते हैं।
इसके अलावा व्हाट्सएप पर आप अपने बिजनेस का स्टेटस लगा सकते हैं साथ ही आप चाहें तो एफिलिएट मार्केटिंग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस प्रकार से इंटरनेट आपको विभिन्न प्रकार से अपने बिजनेस की मार्केटिंग करने का मौका प्रदान करता है।
इंटरनेट के नुकसान – Disadvantages of Internet
जिस प्रकार से इंटरनेट के फायदे हैं उसी प्रकार से इसके कुछ ना कुछ नुकसान है, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। आइए नीचे इंटरनेट के नुकसान के बारे में भी चर्चा कर लेते हैं।
पैसे खर्च करना
हमें समय-समय पर इंटरनेट का इस्तेमाल करवाने के लिए अपने सिम कार्ड में बैलेंस कराने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार से हम फ्री में इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
ऐसे लोग जो इंटरनेट का अधिक इस्तेमाल करते हैं वह अपने घर में वाईफाई कनेक्शन अथवा इंटरनेट कनेक्शन लगाते हैं परंतु जिन लोगों को इंटरनेट का ज्यादा उपयोग नहीं होता है वह प्रीपेड कनेक्शन ले करके अपना काम चला सकते हैं।
पर्सनल डाटा चोरी होना
ऐसी बहुत सारी कंपनी मौजूद है जो हमारे पर्सनल डाटा को चोरी करके दूसरी कंपनी को बेचती हैं और उसके बदले में वह पैसे कमाती हैं। इसीलिए हैकर के द्वारा अक्सर इंटरनेट पर हमें ऐसे बहुत सारे लिंक भेजे जाते हैं जो कि हमारे पर्सनल डाटा को चोरी करने के लिए ही होते हैं।
इसीलिए अगर हम सावधानी नहीं रखते हैं तो हमारा पर्सनल डाटा चोरी हो जाता है। इसकी वजह से हमारी गोपनीय जानकारी सामने वाले व्यक्ति तक पहुंच जाती है। कई बार हमारे बैंक अकाउंट की डिटेल और एटीएम कार्ड की डिटेल भी सामने वाले व्यक्ति के पास पहुंच जाती है जिसकी वजह से ऑनलाइन हमारे पैसे का गबन कर लिया जाता है।
समय का नुकसान
अगर आप इंटरनेट पर अपने ऑफिस का काम या फिर ऑनलाइन स्टडी कर रहे हैं तो यह तो ठीक है परंतु अगर आप इंटरनेट पर सिर्फ अपना समय व्यतीत कर रहे हैं तो यह काम आप गलत कर रहे हैं क्योंकि समय का सदुपयोग करना जो व्यक्ति जानता है वह जिंदगी में आगे बढ़ता है और जो व्यक्ति समय को गवाना जानता है वह जिंदगी में आगे चलकर के पछतावा करता है। इसलिए इंटरनेट पर फालतू का समय आपको नहीं बिताना चाहिए।
इंटरनेट का इस्तेमाल
हमारे द्वारा इंटरनेट पर जब कोई फोटो अथवा वीडियो अपलोड किया जाता है तो वह काफी कम समय में ही वायरल हो जाता है। ऐसे में कई बार लोगों के द्वारा किसी से अपनी दुश्मनी निकालने के लिए उसके प्राइवेट फोटो अथवा वीडियो को इंटरनेट पर अपलोड करके वायरल कर दिया जाता है, जिससे व्यक्ति की बदनामी होती है।
इसके अलावा इंटरनेट पर ऐसी बहुत सारी वेबसाइट मौजूद हैं जिन्हें गंदी वेबसाइट की कैटेगरी में रखा गया है, जो बच्चों के दिमाग पर गलत असर डालती है।
स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव
देर रात अगर हम इंटरनेट का इस्तेमाल अपने डिवाइस में करते हैं तो डिवाइस के स्क्रीन की रोशनी की वजह से हमारी आंखों से पानी बहने लगता है साथ ही हमारी आंखों के खराब होने की संभावना भी काफी अधिक होती है।
इसलिए रात में अगर इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा है तो डिवाइस की हानिकारक रोशनी से बचने के लिए आंखों पर चश्मा पहन लें अथवा डिवाइस को डार्क मॉड में कर ले।
इंटरनेट पर सबसे पहली वेबसाइट कौन सी थी?
इंग्लैंड के लंदन शहर में साल 1955 में 8 जून के दिन Tim Berners-Lee का जन्म हुआ था जो कि कंप्यूटर साइंटिस्ट थे। इन्हें बचपन से ही कंप्यूटर में काफी ज्यादा इंटरेस्ट था और इसीलिए इन्होंने कंप्यूटर के ऊपर कई टेस्ट किए।
अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात उन्होंने साल 1984 में यूरोपियन परमाणु प्रयोगशाला में काम करना स्टार्ट किया जो कि स्विट्जरलैंड देश के जिनेवा शहर में स्थित थी। यहीं पर काम करते करते इनके द्वारा साल 1991 में दुनिया की पहली वेबसाइट बनाई गई जिसका नाम http://info.cern.ch/ था और इसका मुख्य पेज http://info.cern.ch/hypertext/WWW/TheProject.html है।
इंटरनेट कनेक्शन के भी कई प्रकार होते हैं जिसके बारे में नीचे हम आपको जानकारी दे रहे हैं। आगे हम आपको इंटरनेट कनेक्शन के जितने प्रकार बता रहे हैं वह सभी प्रकार अलग-अलग हार्डवेयर से चलते हैं।
फाइबर कनेक्शन
किसी भी एचडी प्रोग्राम को आसानी के साथ आप फाइबर कनेक्शन के द्वारा कुछ ही समय में प्ले कर सकते हैं। यहां पर आपको बहुत ही तेज गति का इंटरनेट डाटा स्पीड प्राप्त होती है। फाइबर कनेक्शन के जरिए जो इंटरनेट की स्पीड हासिल होती है उसकी स्पीड 10 एमबीपीएस से लेकर के 100 एमबीपीएस तक होती है।
सेटेलाइट कनेक्शन
धरती की परिक्रमा करने की वजह से सेटेलाइट कनेक्शन के द्वारा जो इंटरनेट की स्पीड आती है वह कम होती है। इसकी Speed 512K से 2.0 Mbps के बिच होती है।
केबल कनेक्शन
यह Cable Modem के जरिए चलता है और इसके अंतर्गत जो इंटरनेट स्पीड होती है वह अलग अलग होती है। कहने का मतलब है कि केबल कनेक्शन के जरिए जो इंटरनेट की स्पीड होती है वह डाउनलोड करने में अलग होती है और अपलोड करने में अलग होती है।
केबल कनेक्शन के द्वारा जो इंटरनेट स्पीड हासिल होती है उसकी स्पीड काफी अच्छी होती है, जिसकी वजह से रिजल्ट काफी तेजी के साथ दिखाई देते हैं। सामान्य तौर पर इस इंटरनेट कनेक्शन की गति 5 एमबीपीएस से लेकर के 20 एमबीपीएस तक होती है।
डीएसएल कनेक्शन
दो लाइन का उपयोग करने की वजह से यह हमेशा ऑन रहता है। इसका पूरा नाम डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन होती है और यह कनेक्शन एडिशनल कॉपर टेलीफोन लाइन के जरिए चलता है। अधिकतर ऑफिस, घर और व्यवसाय के स्थान पर यह पहले से ही इंस्टॉल होता है।
इंटरनेट से कनेक्ट होने के लिए इसमें आप डायरेक्ट तौर पर जुड़ जाते हैं। डीएसएल के द्वारा एक राउटर का इस्तेमाल किया जाता है जो डाटा को ट्रांसपोर्ट करने का काम करता है। सामान्य तौर पर इसकी इंटरनेट स्पीड 2Mbps से लेकर 8Mbps तक होती है।
वायरलेस कनेक्शन
इसमें ना तो किसी भी प्रकार के तार का इस्तेमाल होता है ना ही किसी भी प्रकार के टेलीफोन लाइन का इस्तेमाल होता है।
यूजर के द्वारा कहीं से भी वायरलेस कनेक्शन के साथ कनेक्ट हुआ जा सकता है, क्योंकि यह रेडियो फ्रिकवेंसी के जरिए काम करता है। इसकी स्पीड लगभग 5Mbps से लेकर 20Mbps तक होती है।
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इंटरनेट से सम्बंधित प्रश्न उत्तर {FAQs}
इंटरनेट का पुराना नाम ARPANET है?
ARPANET का नाम इंटरनेट 1980 में रखा गया?
भारत में इंटरनेट की शुरुआत विदेश संचार निगम लिमिटेड ने की थी।
भारत में इंटरनेट की शुरुआत 15 अगस्त 1995 हुई?
इंटरनेट का फुल फॉर्म इंटरकनेक्टेड नेटवर्क होता है।
इंटरनेट की सुरक्षा कंप्यूटर की सुरक्षा का एक शाखा है। जो कंप्यूटर से जुड़ा हुआ है।
अमेरिका एक ऐसा नेटवर्क बनाना चाहता था की जिससे वे सारे कंप्यूटर को एक साथ जोड़ सके। इसके लिए एक संस्था बनाया गया जिसका नाम DARPA था इस संस्था के द्वारा एक नेटवर्क बनाया गया। जिसे इंटरनेट कहा गया।
इंटरनेट का मीनिंग अन्तर्जाल होता है।
Conclusion (इंटरनेट क्या है?)
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