Rath Yatra 2023 : दोस्तों आपने अक्सर जगन्नाथपुरी में होने वाले रथ यात्रा के बारे में जरूर सुना होगा। तो आज हम रथ यात्रा के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं कि रथ यात्रा क्या है ? रथ यात्रा क्यों मनाई जाती है ? कब मनाई जाती है ? महत्व क्या है ? तो हमारे साथ जुड़े रहे।

रथ यात्रा क्या है ? (Rath Yatra Kya Hai)
इस यात्रा को जगन्नाथ पुरी यात्रा भी कहते हैं। इसका आयोजन उड़ीसा राज्य के पूरी नगर में प्रत्येक वर्ष किया जाता है। संपूर्ण उड़ीसा को प्रभु जगन्नाथ जी की भूमि कहा जाता है। इस प्रदेश के लोग भगवान जगन्नाथ जी को अपने परिवार का एक सदस्य मानते हैं। हर शुभ काम उन्हीं से आशीर्वाद लेने के उपरांत आरंभ किया जाता है। उन्हें पुरुषोत्तम कहा जाता है और पूरी को पुरुषोत्तम क्षेत्र कहा जाता है।
रथयात्रा ऐसा पर्व है जिसमे भगवान स्वयं चलते हुए अपने भक्तों के बीच आते हैं और उनके कष्ट दूर करते हैं क्योंकि भगवान जगरनाथ में ही राम, कृष्ण, बुद्ध, परशुरम और ब्रह्माजी स्वयं विराजमान हैं रथ यात्रा में महाप्रसाद का बहुत ही महत्व है।
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2023 में रथ यात्रा कब है ?
रथ यात्रा का बहुत ही बेसब्री से सभी को इंतजार रहता है भगवान जगन्नाथ के स्मरण में निकाले जाने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा का हिंदू धर्म में बड़ा ही पावन महत्व है पुरी उड़ीसा में इस रथयात्रा का विशाल आयोजन किया जाता है हिंदू पंचांग के अनुसार पुरी रथ यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के द्वितीय तिथि को निकाली जाती है। 2023 में रथ यात्रा 20 जून (मंगलवार) को आयोजित की जाएगी।
रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है ? (Rath Yatra Kyo Manaya Jata Hai)
सभी के मन सवाल होता कि आखिर रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है ? तो चलिए जान लेते है एक बार भगवान श्री कृष्णा रुक्मणी के साथ श्यन करते हुए भी नींद में राधे – राधे करने लगे रुक्मणी को आश्चर्य हुआ उन्होंने अन्य रानियों से बात कही की हमने प्रभु की इतनी सेवा की है फिर भी वह राधा नाम की गोप कुमारी को नहीं भूल पाए। राधा से रहस्यात्मक रासलीला के बारे में माता रोहिणी सब जानती थी
सभी राज्यों ने उनसे आग्रह किया कि हमें सब वृतांत सुनाओ।
तब रोहिणी ने कहा सुभद्रा को सबसे आगे बिठाओ ताकि कोई अंदर ना आ पाए चाहे श्री कृष्ण या बलराम ही क्यों ना हो, जैसे ही रोहिणी माता ने कथा शुरू की कृष्णा बलराम वहां आ गए। लेकिन सुभद्रा ने उचित कारण बताकर उन दोनों को द्वार पर ही रोक लिया लेकिन रोहिणी की सभी बातें उनको सुनाई दी और रासलीला की बात सुनकर कृष्ण और बलराम के पूरे शरीर में प्रेम अवस्था प्रकट हो गई।
सुभद्रा भाव विहल हो गई सुदर्शन चक्र ने एक लंबा सा आकार लिया मानो वह राधा जी का अभीभाव था तब वह पर नारद मुनि जी आये और उन तीनों के इस रूप को देखकर उनके इस प्रकार का स्वरूप देखकर उनके असली रूप का दर्शन करने की मांग की। देव ऋषि नारद जी की दर्शन इच्छा को उन तीनों ने पूरा किया। तभी से लेकर आज तक उसी रूप में इन तीनो की रथयात्रा निकाली जाती है।
रथ यात्रा कब मनाई जाती है ?
भगवान जगन्नाथ की यात्रा आषाढ़ द्वितीया को आरंभ होती है इनके दर्शन के लिए पूरी में हजारों लाखों की भीड़ में लोग आते हैं यह पूरी का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव माना जाता है रथ यात्रा का प्रमाण शास्त्रों में भी मिलता है।
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा वर्ष व दिनांक (Year & Date)
निचे सरणी में अगले 5 साल के रथ यात्रा का वर्ष और दिनांक (Year & Date) देख सकते है –
वर्ष | दिन और दिनांक |
2021 | सोमवार, 12 जुलाई |
2022 | शुक्रवार, 1 जुलाई |
2023 | मंगलवार, 20 जून |
2024 | सोमवार, 8 जुलाई |
2025 | शुक्रवार, 27 जून |
2026 | गुरुवार, 16 जुलाई |
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का महत्व क्या है ?
हिंदू धर्म में जिस चार धाम यात्रा को अति उत्तम तीर्थ यात्रा बताया गया है। पूरी धाम की यात्रा उनमें से एक है। पूरी में 12 महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं उनमें से सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार रथयात्रा होता है। जिसने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है। वो यह यात्रा ही है।
रथ यात्रा में सबसे आगे तालध्वज रथ पर बलराम उनके पीछे पद्मध्वज रथ पर माता सुभद्रा और अंत में गरुड़ध्वज या नंदीघोष रथ पर श्री जगन्नाथ जी पीछे चलते हैं इस दिन विशेष रूप से श्रीफल (नारियल), लाई, गजामूंग, मालपुआ का महाप्रसाद विशेष रूप से मिलता है।
पूर्व भारत का उड़ीसा क्षेत्र जिन्हें शंखक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। वह भगवान जगन्नाथ की लीला भूमि है वैष्णव धर्मानुसार माना जाता है जगन्नाथ भगवान राधा – कृष्ण की युगल मूर्ति है जगन्नाथ भगवान परम पुरुषोत्तम नारायण का साक्षात रुप है। इसी कारणवश वह पूरे जगत के नाथ हैं श्री कृष्ण तो उनकी लीला का एक अंश है।
स्कंदपुराण में तो यहां तक लिखा है कि जो व्यक्ति अषाढ़ी द्वितीय को भगवान जगन्नाथ के दर्शन या उनका स्मरण करता है उसका कभी पूर्णजन्म नहीं होता है। भगवान जगन्नाथ के दर्शन दौरान अगर कोई कीचड़ में भी लोटपोट हो जाता है तो वह साक्षात विष्णु के धाम जाता है।
रथ यात्रा का आयोजन कहाँ – कहाँ किया जाता है ?
भारत में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को कई अलग-अलग जगहों पर मनाया जाता है लेकिन इनमें से कुछ ऐसे जगह है जहां रथयात्रा मनाई जाती है जो पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त है। तो चलिए इनका नाम जान लेते हैं।
- उड़ीसा राज्य के पूरी नगर में बड़े ही धूमधाम से जगन्नाथ रथ यात्रा आयोजित की जाती है।
- पश्चिम बंगाल में भी जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा निकाली जाती है। जो कि बहुत ही विख्यात है।
- हुगली तथा राजबलहट में भी बहुत बड़ी रथ यात्रा आयोजित की जाती है।
इसके साथ-साथ भारत के अलावा विदेश जैसे अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी में भी रथ यात्रा निकाली जाती है।
रथ यात्रा का इतिहास (History) क्या है ?
जगन्नाथ पुरी रथयात्रा का इतिहास आज भी बहुत ही ज्यादा प्रचलित है। भक्तजनों द्वारा रथ यात्रा में जगन्नाथ जी की पूजा अर्चना की जाती है।
ऐसा कहा जाता है उड़ीसा के पुरी नगर में आयोजित की जाने वाली इस रथ यात्रा का आरंभ सर्वप्रथम गंगा राजवंश के द्वारा 15 वी शताब्दी में किया गया था। जिस कारण कई विदेशी लोगों को भी है। कई विदेशी यात्रियों ने इस यात्रा के बारे में अपने लेख में वर्णन किया है।
जगन्नाथ रथ यात्रा के बारे में कुछ और जानकारियाँ
- जगन्नाथ रथ यात्रा 500 सालों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। इसके बारे में स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण और ब्रह्म पुराण में भी लिखा गया है।
- इस यात्रा का मुख्य आकर्षण होता है हजारों लोगों द्वारा पारंपरिक वाद्य यंत्रों के आवाज के बीज बड़े-बड़े रथो को मोटे – मोटे रस्सों से खींचना।
- इसमें भगवान जगन्नाथ के साथ-साथ भगवान बलभद्र जी और बहन सुभद्रा जी का भी रथ होता है। मान्यता है कि रथ को खींचने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह यात्रा 9 दिनों तक चलती है ।
- जगन्नाथ रथ यात्रा में रथ नारियल की लकड़ी से बनाया जाते हैं। इसके पीछे का कारण है कि नारियल की लकड़ी बहुत ही हल्की होती है। जिससे इन रथों को खींचना थोड़ा आसान होता है।
- तीन रथो में भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे बड़ा होता है। यह रथ लाल और पीले रंग का होता है। रथ यात्रा में यहां सबसे पीछे चलता है। इन औरतों को श्रद्धालुओं रस्सी की मदद से खींचते हैं और पूरे नगर में घुमाते हैं।
- तीनो रथो में घोड़े बनाए जाते हैं। और इन तीनों रथों के घोड़ों का रंग अलग – अलग होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ के घोड़े का रंग सफेद होता है। सुभद्रा जी के रथ के घोड़े का रंग भूरा और भाई बलभद्र के रथ के घोड़े का रंग नीला होता है।
रथ यात्रा से सम्बंधित कुछ प्रश्न उत्तर (FAQs)
रथ यात्रा उड़ीसा राज्य के जगन्नाथपुरी का प्रसिद्ध त्योहार है जिसे बड़े ही धूम – धाम से मनाया जाता है।
भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम “नंदिघोष” है जिसे गरुड़ध्वज भी कहा जाता है।
जगन्नाथपुरी में भगवान जगन्नाथ जी विराजमान है।
जगन्नाथ में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा जी की मूर्ति है।
जगन्नाथ में स्थित गुंडीचा मंदिर की देवी, श्रीकृष्ण जी की मौसी हैं।
सुभद्रा देवी के रथ का नाम “दर्पदलन” है।
बलभद्र या बलराम जी के रथ का नाम “तालध्वज” है।
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उम्मीद करते हैं आप सभी को रथ यात्रा क्या है ? रथ यात्रा क्यों मनाई जाती है ?, रथ यात्रा का क्या महत्व है ?, रथ यात्रा का इतिहास (History) क्या है ?, रथ यात्रा का आयोजन कहाँ – कहाँ किया जाता है ?, 2022 में रथ यात्रा कब है ? के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। इसी तरह की महत्वपूर्ण लेख पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग desifunnel.com को जरूर सब्सक्राइब करें और अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। धन्यवाद
