Transformer Kya Hai – ट्रांसफार्मर के प्रकार, कार्य और विभिन्न भाग {पूरी जानकारी}

Transformer Kya Hai : ट्रांसफार्मर में कोई खराबी आने पर किसी निश्चित इलाके की पूरी बिजली ही चली जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ट्रांसफार्मर के द्वारा ही बिजली के वोल्टेज को घटाने का या फिर बढ़ाने का काम किया जाता है और ट्रांसफार्मर के द्वारा ही लोगों के घरों तक सही वोल्टेज में बिजली पहुंच पाती है और जब इसमें कोई खराबी आती है तो बिजली गुल हो जाती है।

ट्रांसफार्मर अक्सर आपने शहरी/ग्रामीण इलाके में देखे ही होंगे और कभी आपने इसके बारे में जानने का प्रयास भी किया होगा, तो आइए आज जानते हैं कि “ट्रांसफार्मर क्या है” और “ट्रांसफार्मर के प्रकार क्या है” तथा “ट्रांसफार्मर कैसे काम करता है?”

ट्रांसफार्मर क्या है? (Transformer Kya Hai)

यह बिजली से चलने वाला यंत्र होता है। ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल एसी करंट की सप्लाई को बिना उसकी फ्रीक्वेंसी को चेंज किए हुए कम अथवा अधिक करने के लिए किया जाता है। ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल ऐसे डिसी उपकरण पर किया जाता है जो एसी करंट पर चलाए जाते हैं। जैसे कि बैटरी, चार्जर, एंप्ली कार इत्यादि।

डीसी करंट पर चलने वाले साधन बहुत ही कम बिजली पर चल जाते हैं जैसे की ऑडियो एंपलीफायर। इसलिए यह आवश्यक है कि ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करने के पहले ऐसी वोल्टेज को 222 वोल्ट से 12 वोल्ट में चेंज किया जाए और फिर इसके पश्चात रेक्टिफायर के द्वारा एसी करंट से डीसी करंट में चेंज किया जाए।

हर जगह पर लगे हुए ट्रांसफार्मर का सिर्फ एक ही काम होता है कि वह बिजली को कम करें या फिर अधिक करें। ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर आज हमारे देश में किया जा रहा है।

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साथ ही जिस जगह पर ट्रांसफार्मर नहीं है वहां पर भी ट्रांसफार्मर स्थापित करने का काम किया जा रहा है, ताकि लोगों को उचित वोल्टेज पर बिजली प्राप्त हो सके और वोल्टेज में कोई गड़बड़ी ना होने पाए।

ट्रांसफार्मर की परिभाषा

एक ऐसा उपकरण जो एसी करंट को बिना उसकी फ्रिकवेंसी बदले हुए कम या फिर ज्यादा करने का काम करता है, ट्रांसफार्मर कहलाता है। ट्रांसफार्मर सामान्य तौर पर एलुमिनियम या फिर लोहे के बने हुए होते हैं और इनका वजन 100 किलो से अधिक ही होता है। ट्रांसफार्मर अलग-अलग साइज में होते हैं।

ट्रांसफार्मर कैसे बनता है?

ट्रांसफार्मर का जो कोर होता है वह एलुमिनियम का बना हुआ होता है जिसका आकार चौरस होता है। ट्रांसफार्मर के कोर के दोनों तरफ आमने-सामने कोईल फिट की जाती है। कोईल को कोर के चारों तरफ सही प्रकार से लपेटा जाता है।

यह कोईल तांबे की बनी हुई होती हैं। हालांकि कोईल को कोर के चारों तरफ लगाने से पहले विद्युत रोधी कागज लगाया जाता है ताकि कोर के साथ और एलुमिनियम कोर के साथ तार ना अटैच हो। इस प्रकार से ट्रांसफार्मर का निर्माण होता है अर्थात ट्रांसफार्मर बनता है।

ट्रांसफार्मर के विभिन्न भाग

जितने भी ट्रांसफार्मर है, उनके खास भाग होते हैं साथ ही कुछ स्पेशल कंपोनेंट भी होते हैं, जो ट्रांसफर में लगाए जाते हैं। नीचे हमने ट्रांसफार्मर में लगे हुए कुछ महत्वपूर्ण भागों की चर्चा की गई है।

Cores

इसे सेल फॉर्मेट में बनाया जाता है और ऐसे ट्रांसफार्मर जिसमें कोर के चारों तरफ बाइंडिंग लगाई जाती है उसे कोर फॉर्म कहते हैं तथा जिस ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग के चारों तरफ कोर लगाया जाता है उसे सेल फॉर्म कहते हैं।

ट्रांसफार्मर का कोर सिलिकॉन स्टील की पत्तियों से बना हुआ होता है। पतियों की चौड़ाई 00.35 एमएम से 00.75 एमएम के बीच में होती है। यह पत्ती ट्रांसफार्मर में E, I, L के आकार में सेट की जाती है।

Coil

इसे ट्रांसफार्मर के आउटपुट और इनपुट वाले तार के साथ कनेक्ट किया जाता है। इसमें प्राथमिक वाइंडिंग और सेकेंडरी वाइंडिंग होती है। प्राथमिक वाइंडिंग पर एसी इनपुट सप्लाई और सेकेंडरी वाइंडिंग पर आउटपुट के तार लगाए जाते हैं।

Insulated Sheet

सेकेंडरी वाइंडिंग और प्राइमरी वाइंडिंग के बीच में जो सीट लगाई जाती है उसे ही इंसुलेटेड सीट कहा जाता है। यह सीट किसी भी प्रकार के शार्ट सर्किट से बचाने का काम करती है। इसे इसलिए भी लगाया जाता है ताकि ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग को किसी भी प्रकार की हानि ना हो।

Conservator Tank

कंजरवेटर टैंक के अंदर तेल डाला जाता है। इसका काम होता है ट्रांसफार्मर को ठंडा रखना क्योंकि जो 3 फेज वाला ट्रांसफार्मर होता है उसका आकार ज्यादा होता है। इसलिए वह जल्दी से गर्म हो जाता है। इसलिए ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने के लिए उसमें तेल डाला जाता है।

Oil Level Indicator

ट्रांसफार्मर के कंजरवेटर टैंक में तेल डालते हैं और उसे नापने के लिए उसके अंदर एक मीटर लगाया जाता है। यह मीटर टैंक के अंदर मौजूद तेल की मात्रा को बताता है। इसे वेल मीटर इंडिकेटर टैंक के ऊपर सेट किया जाता है।

Bushing

ट्रांसफार्मर की बॉडी के साथ ही साथ लाइव कंडक्टर को इंसुलेट करने के लिए Bushing को ट्रांसफार्मर में सेट करते हैं। यह सभी टर्मिनल पर सेट किए जाते हैं और जो थ्री फेज वाले ट्रांसफार्मर होते हैं उसमें इसका इस्तेमाल होता है।

Radiator Fan

जिस प्रकार से गाड़ियों में इंजन को ठंडा रखने के लिए रेडिएटर होता है उसी प्रकार से ट्रांसफार्मर में भी ट्रांसफार्मर को ठंडा करने के लिए रेडिएटर फैन सेट किया जाता है परंतु यह अधिकतर बड़े साइज के ट्रांसफार्मर में ही लगाए जाते हैं।

Oil Filling Pipe

इसी पाईप के द्वारा ट्रांसफार्मर में तेल भरा जाता है।

ट्रांसफार्मर कैसे काम करता है?

ट्रांसफार्मर के द्वारा काम करने के लिए जिस सिद्धांत का इस्तेमाल किया जाता है उसे म्युचुअल इंडक्शन सिद्धांत कहते हैं। आप जानते हैं कि ट्रांसफार्मर में वाइंडिंग की संख्या टोटल 2 होती है जिसमें से एक वाइंडिंग इलेक्ट्रोमोटिव फोर्स पर काम करती है और दूसरी वाली वाइंडिंग मैग्नेटिक फील्ड पर काम करती है।

इस प्रकार से जब पहली वाली वाइंडिंग में एसी सप्लाई पहुंचती है तो उस वाइंडिंग के चारों साइड एक मैग्नेटिक फील्ड पैदा हो जाती है। इसी पैदा हुई मैग्नेटिक फील्ड को इलेक्ट्रोमोटिव फोर्स कहकर बुलाया जाता है।

इसके अलावा दूसरी वाली कॉइल जब मैग्नेटिक फील्ड की कक्षा में प्रवेश करती है तो दूसरी वाली कोइल में इलेक्ट्रॉन का प्रवाह होने लगता है और इस कोईल की साइड से हमें एसी करंट प्राप्त होना प्रारंभ हो जाता है। बता दें कि ट्रांसफार्मर की जो आउटपुट सप्लाई है वह इसकी इनपुट के ऊपर ही डिपेंड करती है।

ट्रांसफार्मर के कार्य क्या हैं?

ट्रांसफार्मर के द्वारा एक सर्किट से दूसरे सर्किट में वोल्टेज लेवल को बढ़ाने का काम किया जाता है अथवा घटाने का काम किया जाता है। स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर का इस्तेमाल वोल्टेज लेवल को बढ़ाने के लिए होता है और स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर का इस्तेमाल वोल्टेज लेवल को कम करने के लिए होता है।

ट्रांसफार्मर के द्वारा स्त्रोत और लोड इंपेडेंस को मैच करने का काम किया जाता है ताकि अधिक से अधिक पावर ट्रांसफर की कैपेसिटी को हासिल किया जा सके।

ट्रांसफार्मर किसी एक सर्किट को किसी दूसरे सर्किट से आइसोलेट करने का काम भी करता है। इस प्रकार के जो ट्रांसफार्मर होते हैं उन्हें आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर कहते हैं।

जिसमें प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग के नंबर की संख्या समान होती है जिसकी वजह से इलेक्ट्रिक सर्किट के वोल्टेज लेवल में किसी भी प्रकार का कोई भी बदलाव नहीं होता है।

ट्रांसफार्मर के प्रकार

जिस जगह पर जैसे ट्रांसफार्मर की आवश्यकता होती है उसी हिसाब से ट्रांसफार्मर का निर्माण किया जाता है। एग्जांपल के तौर पर अगर हमें घर पर ही बैटरी के चार्जर का निर्माण करना है तो इसके लिए हमें स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर की आवश्यकता पड़ेगी।

और अगर हमें इनवर्टर का निर्माण करना है तो हमें स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर की आवश्यकता पड़ेगी। आइए नीचे ट्रांसफार्मर के विभिन्न प्रकार के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।

स्टेप अप ट्रांसफार्मर

स्टेप अप ट्रांसफर के द्वारा इनपुट वोल्टेज को बढ़ाया जाता है और ज्यादा आउटपुट वोल्टेज दिया जाता है। स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर में अधिक मात्रा में सेकेंडरी वाइंडिंग पर कोईल लपेटी गई होती है।

स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर

स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर के द्वारा इनपुट वोल्टेज को घटाया जाता है और उसके पश्चात कम मात्रा वाला आउटपुट वोल्टेज दिया जाता है। बड़े पैमाने पर डीसी करंट से चलने वाले उपकरण में इसका इस्तेमाल होता है।

शेल टाइप ट्रांसफार्मर

इसका निर्माण आई और ई आकार की पत्तियों को कनेक्ट करके किया जाता है। इसमें टोटल 3 लिब होते हैं जिसमें से एक लिब पर दोनों तरफ से वाइंडिंग होती है। इसमें कोर के नजदीक कम वोल्टेज वाली वाइंडिंग और अधिक वोल्टेज वाली वाइंडिंग कम वोल्टेज वाली वाइंडिंग के ऊपर की साइड में की जाती है ताकि सरलता से इंसुलेशन हो सके।

कोर टाइप ट्रांसफार्मर

इसका निर्माण सिलिकॉन स्टील की पतियों के द्वारा इंसुलेशन करके बनाया जाता है और यह आकार में आयताकार होता है। इसमें सिर्फ एक ही रास्ता मैग्नेटिक फ्लक्स के लिए होता है। ज्यादा वोल्टेज के लिए इसका इस्तेमाल होता है।

सिंगल फेज ट्रांसफार्मर

यह ट्रांसफार्मर एसी सप्लाई पर काम करता है। इसके द्वारा सिंगल फेज के वोल्टेज को घटाने का या फिर बढ़ाने का काम किया जाता है। इसमें प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग होती है।

थ्री फेज ट्रांसफार्मर

यह थ्री फेज एसी सप्लाई पर काम करता है। इसमें तीन प्राइमरी और तीन सेकेंडरी वाइंडिंग होती है। आजकल इसी ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल अधिक हो रहा है।

Transformer Kya Hai से सम्बंधित प्रश्न उत्तर {FAQs}

ट्रांसफार्मर में कितना वोल्ट होता है?

ट्रांसफार्मर की कैपेसिटी के हिसाब से अलग-अलग वोल्ट होता है।

ट्रांसफार्मर किसका बना होता है?

ट्रांसफार्मर लोहा अथवा एलुमिनियम का बना होता है?

ट्रांसफार्मर को हिंदी में क्या कहते हैं?

ट्रांसफार्मर को हिंदी में परिणामित्र कहते हैं?

ट्रांसफार्मर क्यों लगाते हैं?

बिजली के वेग को अपने हिसाब से घटाने अथवा बढ़ाने के लिए ट्रांसफार्मर लगाते हैं।

अंतिम शब्द

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